नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनैतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। लेकिन पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीतने वाली कांग्रेस इस चुनाव में किंगमेकर बनना चाहती है। लिहाजा कांग्रेस राज्य की 70 सीटों के बजाए महज 20 सीटों पर फोकस कर रही है। ताकि महाराष्ट्र और झारखंड की तर्ज पर कोई भी सरकार उसके बगैर न बन सके और सत्ता उसके हाथों में रहे।

हालांकि लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा जबकि उस वक्त उसके पास शीला दीक्षित जैसा करिश्माई चेहरा था। लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में उसके पास ऐसा कोई चेहरा नहीं है। जिस पर कांग्रेस पार्टी दांव खेल सकती है। हालांकि अभी कांग्रेस की स्थिति कमजोर है। लिहाजा वह राज्य की सत्ता में बहुमत के बजाए किंगमेकर की भूमिका लेकर तैयारी कर रही है। क्योंकि राज्य में मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी और भाजपा में है। हालांकि कांग्रेस के नेता दावा कर रहे हैं कि वह पूर्ण बहुमत से सरकार बनाएगी।

लेकिन सच्चाई से कांग्रेस के हर नेता वाकिफ हैं। अभी तक कांग्रेस ने दिल्ली में किसी को भी मुख्यमंत्री के तौर पेश नहीं किया है और न ही कांग्रेस पार्टी चुनाव के दौरान करने जा रही है। क्योंकि कांग्रेस आलाकमान को मालूम है कि अगर किसी को मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किया तो राज्य में कलह उभरकर आ सकती है। फिलहाल कांग्रेस ने दिल्ली में 20 सीटों की पहचान की है, जिन्हें वह जीत सकती है और इसी के जरिए वह दिल्ली की किंग मेकर बन सकती है। 

फिलहाल कांग्रेस को लग रहा है कि जिस तरह से पिछले कुछ महीने में ही वह दो राज्यों सत्ता पर काबिज हुई है। उसी फार्मूले के तहत वह दिल्ली की सत्ता पर काबिज हो सकती है। हालांकि कांग्रेस मान रही है कि हरियाणा में उसकी मजबूत स्थिति का फायदा उसे दिल्ली दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी मिलेगा। क्योंकि हरियाणा के चुनाव का प्रभाव दिल्ली में दिखाई देता है। खासतौर से हरियाणा से सटे सीटों पर हरियाणा मूल के लोगों का वर्चस्व है। फिलहाल कांग्रेस आम आदमी पार्टी की तरह मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर ही ज्यादा फोकस कर रही है। इसमें ओखला, सीलमपुर, बाबरपुर, मुस्तफाबाद, तुगलकाबाद, सुल्तान पुर माजरा, मंगोलपुरी समेत 13 सीटें हैं। जहां पार्टी का लगता है कि वह मजबूत स्थिति में है।