कर्नाटक में सरकार गंवा चुकी कांग्रेस अब इसका बदला मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी से लेगी। राज्य में सियासी घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है। भाजपा के दो विधायकों के कांग्रेस के खेमे में जाने के दावे किए जा रहे हैं। हालांकि कांग्रेस का दावा है कि भाजपा के और आधा दर्जन विधायक पार्टी के संपर्क में हैं।

भोपाल में चर्चा है कि भारतीय जनता पार्टी के कुछ और विधायक कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। जिसके बाद भाजपा ने राज्य में अपने विधायकों को एकजुट रखने का प्रयास तेज कर दिया है। शिवराज सिंह की आज पार्टी के तीन दर्जन विधायकों और वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात हुई है।

जिसके बाद सभी विधायकों को एकजुट रखने के साथ ही संयम बरतने को कहा गया है। शिवराज की बैठक में विधायकों से कहा गया है कि पार्टी आलाकमान जब चाहेगा राज्य में भाजपा की सरकार बन जाएगी। लेकिन विधायकों को थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा।

हालांकि कांग्रेस भाजपा के दो विधायकों को तोड़कर काफी खुश है। इस सियासी खेल के पीछे कमलनाथ की रणनीति बताई जा रही है। लिहाजा पार्टी का दावा है कि अभी भाजपा के आधा दर्जन से ज्यादा विधायक कांग्रेस का संपर्क में और उनकी हरी झंडी का इंतजार कर रहे हैं।

गौरतलब है कि बुधवार को विधानसभा में एक बिल के मतदान में भाजपा के दो विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर अपना मत कांग्रेस सरकार को दिया था। जिसके बाद कांग्रेस का हौसला बढ़ गया है और आज ही सुबह बगावत करने वाले दोनों विधायकों ने कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी से मुलाकात की।

उधर राज्य के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा का दावा है कि अभी तो 2 विधायकों ने साथ दिया है,  जबकि भाजपा के कई और विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं। हालांकि उन्होंने खुलकर कुछ नहीं बोला और कहा के देखिए आगे क्या होता है।

दो विधायकों के कांग्रेस खेमे में जाने के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह पार्टी कार्यालय पहुंचे हैं औऱ बैठक कर रहे हैं। वहीं पार्टी में किसी भी तरह टूट के लिए लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन भी सक्रिय हो गयी हैं। कहा ये जा रहा है कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने वाले दोनों भाजपा विधायक काफी अरसे से कमलनाथ के संपर्क में थे।

ये है मध्य प्रदेश का सियासी गणित

मध्य प्रदेश में 230 विधायकों का सदन है और इसमें कांग्रेस के 114 विधायक हैं। राज्य में ससरकार बनाने के लिए 116 विधायकों की जरूरत है। राज्य में कमलनाथ सरकार को 4 निर्दलीय, दो बसपा और  सपा का एक विधायक समर्थन दे रहा है। इस तरह से कांग्रेस सरकार को 121 विधायकों का समर्थन हासिल है। वहीं भाजपा के पास 108 विधायक हैं। लिहाजा सरकार बनाने के लिए उसे सात विधायकों की जरूरत है।