च्यवनप्राश के हर दिन इस्तेमाल से कई लाभ मिल सकते हैं। इसके सेवन से शरीर में ना सिर्फ स्फूर्ति बनी रहती है बल्कि ढलती उम्र में जोश बरकार रहता है। लोकप्रथाओं के अनुसार, सबसे पहले च्यवनप्राश जुड़वा वैदिक भगवान अश्विनी कुमार ने बनाया था। ऐसा भी माना जाता है कि उन्हें च्यवन से अपना यौवन वापस मिल गया था। बता दें, करौंदा च्यवनप्राश में डलने वाली मुख्य साम्रगी होती है। इसके बाद इसमें 42 औषधीय जड़ी बूटियां मिलाई जाती हैं। इसके साथ इसमें गुड़, तिल का तेल, घी और शहद दूसरी मुख्य सामग्रियां हैं।