नई दिल्ली। दो दिन पहले कांग्रेस  में अध्यक्ष पद को लेकर हुआ विवाद थमने जा रहा है और अब महासचिव  के पद  को लेकर विवाद शुरू हो गया है।  खासतौर से प्रियंका गांधी और गांधी के करीबी माने जाने वाले पार्टी के महासचिवों की नियुक्ति को लेकर पार्टी में घमासान शुरू होने की आशंका है।  क्योंकि ज्यादातर नेताओं का कहना है कि वरिष्ठता को दरकिनार कर करीबी लोगों को महासचिव  के पद पर नियुक्त किया गया है।  इसमें प्रियंका गांधी का भी नाम शामिल है। 

जानकारी के मुताबिक पार्टी में लंबे समय से महासचिवों के खाली पड़े पद और हाल में बनाए गए महासचिवों को लेकर भी घमासान मचा हुआ है। क्योंकि पार्टी में वरिष्ठ नेताओं की दावेदारी को दरकिनार कर करीबी नेताओं को महासचिवों के पदों पर नियुक्त किया गया था। फिलहाल तमाम वरिष्ठ नेता महासचिव बनने की प्रतीक्षा में थे लेकिन पार्टी ने केसी वेणुगोपाल, प्रियंका गांधी वाड्रा और अजय माकन को महासचिव बनाया। लिहाजा अब पार्टी नेताओं ने महासचिवों की नियुक्त को लेकर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। पार्टी में अध्यक्ष के बाद महासचिव पद सबसे ताकतवर माना जाता है।

वहीं पार्टी में फिलहाल उपाध्यक्ष का पद खाली है और ये पद राहुल गांधी के लिए बना और उनके अध्यक्ष बनने के बाद उस पद पर कोई नियुक्ति नहीं  हुई है।  लिहाजा पार्टी का एक धड़ा इन पद पर भी नियुक्ति करने के पक्ष में है। हालांकि इस पद पर किए नियुक्त किया जाएगा इस बारे में तय नहीं है। वहीं वर्तमान में कांग्रेस 11 महासचिव हैं और इसमें अंबिका सोनी, गुलामनबी आजाद, मुकुल वासनिक, लुई जिन्हो फैलिरो और ओमान चांडी कई सालों से इन पदों पर नियुक्त हैं।

हरीश रावत और वेणुगोपाल का हो चुका है विरोध

असल में महासचिव के पद पर विवाद कोई नया नहीं है। इससे पहले उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत  महासचिव बनाकर असम का प्रभार दिया था। जबकि अशोक गहलोत के राजस्थान का सीएम बनने के बाद वेणुगोपाल को संगठन महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई  थी। जबकि राहुल गांधी ने प्रियंका को महासचिव बनाकर यूपी का प्रभार दिया था। इसके अलावा राजस्थान में पिछले दिनों चले सियासी घमासान के बाद वहां के प्रभारी अविनाश पांडेय को हटा दिया गया था और अजय माकन को प्रभारी महासचिव बनाया था। हालांकि पार्टी के नेताओं का कहना है कि माकन के पास अनुभव है लेकिन उनसे पहले कई वरिष्ठ नेता महासचिव के पद के लिए इंतजार कर रहे हैं।