हालांकि कोर्ट ने को 25 लाख रुपये बैंक गारंटी जमा करने की शर्त के साथ कहा है कि वह विदेश में जहां भी रूकेंगे उसका पूरा पता अदालत को देना होगा। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि यह अनुमति इस शर्त पर दी जा रही है कि वह विदेश यात्रा के दौरान किसी सुबूत के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं करेंगे.

कोर्ट ने रॉबर्ट वाड्रा को 6 हफ्ते के लिए अनुमति दी है। लेकिन वाड्रा लंदन नही जाएंगे क्योंकि उन्होंने लंदन जाने की अर्जी को खुद वापस ले लिया है। कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की जिरह के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। 

मामले की सुनवाई के दौरान वाड्रा की ओर से पेश वकील केटीएस तुलसी ने सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने केस का हवाला देते हुए कहा उन्हें विदेश जाने की अनुमति देने कि गुजारिश की थी। उन्होंने कहा कि वाड्रा को ईलाज के लिए मेडिकल ग्राउंड पर जमानत मिलनी चाहिए। 

कोर्ट में सुनवाई के मुताबिक वाड्रा की बड़ी आंत में ट्यूमर है। तुलसी ने कहा कि वाड्रा हमेशा जांच में सहयोग करते रहे हैं। यहां तक कि जब जब वो लंदन में अपनी माँ का ईलाज करवा रहे थे और 6 सप्ताह से लंदन में थे और जैसे ही उन्हें ईडी की कार्रवाई के बारे में पता चला वो बिना किसी वारंट के भारत वापस आए और ईडी के सामने पेश हुए। ऐसे में ईडी को उनके भाग जाने के बारे में नही सोचना चाहिए। 

दरअसल यह मामला वाड्रा की 19 लाख पाउंड की विदेशी संपत्ति के स्वामित्व और टैक्स चोरी के लिए स्थापित की गई अघोषित संस्थाओं से हुआ हैं। वाड्रा पर लंदन स्थित 12, ब्रायंस्टन स्क्वायर में 19 लाख पाउंड में संपत्ति की खरीद में मनी लॉन्ड्रिंग करने का आरोप है। 

इससे पहले मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली की एक अदालत ने एक अप्रैल को रॉबर्ट वाड्रा को 5 लाख रुपये की निजी मुचलके पर अग्रिम जमानत दे दी थी।