सरकारी कंपनी आईआरसीटीसी (IRCTC) घोटाले के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव, बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव, पूर्व मंत्री प्रेमचंद्र गुप्ता, उनकी पत्नी सरला गुप्ता और तत्कालीन एमडी बीके अग्रवाल सहित अन्य की ओर से दाखिल नियमित जमानत याचिका पर पटियाला हाउस कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है. अब कोर्ट 28 जनवरी को जमानत पर अपना फैसला सुनायेगा.

जमानत पर बहस के दौरान प्रवर्तन निदेशालय ने जमानत का विरोध किया कहा इन लोगों को जमानत नहीं मिलनी चाहिए. अगर इन्हें जमानत मिल गई तो ये जांच को प्रभावित कर सकते हैं. जबकि आरोपियों के वकील ने कहा कि अंतरिम जमानत के दौरान एक आचरण अच्छा है. इस मामले में जांच पूरी हो गई है एजेंसी की ओर से आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है, लिहाजा नियमित जमानत दिया जाए. वहीं सीबीआई मामले में कथित आरोपी व पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव को भी कोर्ट से नियमित जमानत मिल गई है. इस मामले में लालू प्रसाद यादव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए थे. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव को सीबीआई व ईडी के मामले में अंतरिम जमानत दे दिया था.

जिसके बाद लालू सहित अन्य की ओर से दाखिल नियमित जमानत याचिका पर ईडी से जवाब मांगा गया था. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सीबीआई केस में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव सहित बाकी आरोपियों को नियमित जमानत दे दी थी. हालांकि सीबीआई ने कोर्ट में नियमित जमानत का विरोध करते हुए कहा था कि नियमित जमानत देने से जांच प्रभावित हो सकता है. वहीं मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कोर्ट ने राबड़ी देवी , तेजस्वी यादव सहित  अन्य आरोपियों को एक-एक लाख के निजी मुचलके पर अंतरिम जमानत दे दी थी. मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर आरोप पत्र पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए सभी आरोपियों को समन जारी किया था.

ज्ञात हो कि आईआरसीटीसी होटल आवंटन मामले सीबीआई के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने पटियाला हाउस कोर्ट में लालू और उनके परिवार के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल की थी. आरोप पत्र में प्रवर्तन निदेशालय ने कई अहम सबूत की बात कही थी. आरोप पत्र में प्रवर्तन निदेशालय ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, पूर्व मंत्री प्रेमचंद गुप्ता, उनकी पत्नी सरल गुप्ता और तत्कालीन एमडी बाइक अग्रवाल के अलावा अन्य लोगों को आरोपी बनाया था. गौरतलब है कि साल 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री रहते हुए लालू प्रसाद यादव ने रेलवे के पूरी और रांची स्थित बीएनआर होटल के रखरखाव आदि के लिए आईआरसीटीसी को स्थानांतरित किया था.

सीबीआई के मुताबिक नियमों को ताक पर रख कर रेलवे का यह टेंडर विनय कोचर को कंपनी मेसर्स सुजाता होटल्स को दिया गया था. इतना ही नहीं सीबीआई का यह भी आरोप है कि टेंडर दिये जाने के बदले 25 फरवरी 2005 को कोचर बंधुओ ने पटना के बेली रोड स्थित तीन एकड़ जमीन सरल गुप्ता की कंपनी मेसर्स डिलाइट मार्केटिंग कंपनी लिमिटेड को बेच दी, जबकि मार्किट में उसकी कीमत कहीं ज्यादा थी. इस जमीन को खेती की जमीन बताकर सर्कल रेट से काफी कम पर बेच कर स्टांप ड्यूटी में गड़बड़ी की गई. बाद में 2010 से 2014 के बीच यह बेनामी संपत्ति लालू प्रसाद यादव की परिवार की कंपनी लारा प्रोजेक्ट को सिर्फ 65 लाख रुपये में ही दे दी गई, जबकि उस समय उसकी बाजार में कीमत 94 करोड़ रुपये के आसपास थी.