पिछली सुनवाई के दौरान डोभाल के मित्र निखिल कपूर और कारोबारी सहयोगी अमित शर्मा का बयान दर्ज हुआ था। डोभाल की याचिका पर अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने सुनवाई की।

विवेक डोभाल ने कारवां में लेख प्रकाशित किये जाने के बाद, कारवां पत्रिका और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश द्वारा इस सामग्री का इस्तेमाल किये जाने को लेकर यह याचिका दायर की है। 

डोभाल ने 30 जनवरी को कोर्ट के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया था और कहा था कि पत्रिका द्वारा लगाए गए सभी आरोप आधारहीन और फर्जी है। इससे पहले 30 जनवरी को विवेक डोभाल ने मानहानि मामले में अदालत के अपना बयान दर्ज करवाया था। 

डोभाल ने कहा था कि पत्रिका द्वारा लगाए गए सभी आरोप जिन्हें बाद में रमेश द्वारा एक संवाददाता सम्मेलन में दोहराया गया वे निराधार और झूठे है, और इनसे परिवार के सदस्यों और पेशेवर सहकर्मियों के बीच उनकी छवि खराब हुई। 

कारवां पत्रिका ने 16 जनवरी को ‘द डी कंपनी’ के शीर्षक वाले ऑनलाइन लेख में कहा था कि विवेक डोभाल  'केमन द्वीप समूह में हेज फण्ड चलाते हैं।' यह द्वीपसमूह कालेधन को ठिकाने लगाने का स्थापित सुरक्षित ठिकाना है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा 2016 में 500 और हजार रुपये के नोट बंद किये जाने के महज 13 दिन बाद पंजीकृत की गई थी। 

शिकायत के मुताबिक जयराम रमेश ने 17 जनवरी को संवाददाता सम्मेलन कर लेख में वर्णित निराधार और निर्मूल तथ्यों पर जोर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि लेख के तथ्यों में उन्हें लेकर कोई वैधानिकता नही है लेकिन पूरा विवरण कुछ इस तरह से दिया गया जो पाठकों को कुछ गलत होने का संकेत देता है।