राजस्थान में कांग्रेस की नई सरकार वरिष्ठ नेता सीपी जोशी या दीपेन्द्र सिंह को राज्य का नया विधानसभा अध्यक्ष नियुक्त कर सकती है. सीपी जोशी केन्द्रीय मंत्री और सांसद भी रह चुके हैं और विधानसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस ने विधायकी का टिकट दिया था. जबकि दीपेन्द्र सिंह राज्य में पहले भी विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं.

हालांकि ऐसा माना जा रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष का फैसला कांग्रेस आलाकमान लेगा. लेकिन इस दौड़ में सबसे आगे पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी जोशी और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह का नाम चल रहा है. असल में जोशी राज्य के कांग्रेस के बड़े नेता हैं और कांग्रेस आलाकमान से उनकी नजदीकियां भी हैं. इसके साथ ही जातीय समीकरणों को बैठाने के लिए कांग्रेस आलाकमान उन्हें विधानसभा अध्यक्ष नियुक्त कर सकता है. पार्टी आला कमान के स्तर से भी प्रदेश के नामों को लेकर बता दिया गया है. हालांकि विधानसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों के शपथ लेने के बाद स्पीकर चयन की प्रक्रिया शुरू होगी.
सीपी जोशी का राष्ट्रीय स्तर पर उनका काफी प्रभाव है और वह कई राज्यों के प्रभारी भी रह चुके हैं. मनमोहन सरकार में जोशी के पास कई मंत्रालयों का दायित्व था. हालांकि पार्टी ने विधानसभा चुनाव में पार्टी उन्हें अशोक गहलोत और सचिन पायलट की तरह चुनाव मैदान में उतारा गया था. ताकि गहलोत और पायलट की दावेवारी को कम किया जा सके. पहले ये भी चर्चा थी कि जोशी को राज्य में कैबिनेट मंत्री बनाया जाएगा, लेकिन गहलोत सरकार में उन्हें जगह नहीं मिली. लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव में ब्राह्मणों को खुश करने के लिए पार्टी उन्हें विधानसभा अध्यक्ष नियुक्त कर सकती है. हालांकि दीपेन्द्र सिंह की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है.

वह गहलोत सरकार में 2008 से 2013 कर विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं. सिंह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के काफी करीबी माने जाते हैं. उन्हें सदन चलाने का अनुभव भी है. लिहाजा गहलोत की ओर से शेखावत को एक बार और सदन चलाने के लिए मौका दिया जा सकता है. वहीं सदन में पार्टी के मुख्य सचेतक और उप मुख्य सचेतक बनाने को लेकर भी चर्चा चल रही है. मुख्य सचेतक पद की कमान हवामहल सीट से चुनाव जीतकर आने वाले विधायक महेश जोशी को दी जा सकती है. अगर जोशी ये पद दिया जाता है सीपी जोशी की दावेदारी विधानसभा अध्यक्ष को लेकर कम हो सकती है. क्योंकि इसके जरिए पार्टी ब्राह्मण वोट साध सकती है.