राज्य की नई विधानसभा का अध्यक्ष के लिए वरिष्ठ कांग्रेस नेता सीपी जोशी का चुना जाना तय है. कांग्रेस ने राज्य में भाजपा के सवर्ण आरक्षण की धार को कमजोर करने के लिए इस पद के लिए ब्राह्मण वर्ग से आने वाले जोशी को चुना है.
राज्य की नई विधानसभा का अध्यक्ष के लिए वरिष्ठ कांग्रेस नेता सीपी जोशी का चुना जाना तय है. कांग्रेस ने राज्य में भाजपा के सवर्ण आरक्षण की धार को कमजोर करने के लिए इस पद के लिए ब्राह्मण वर्ग से आने वाले जोशी को चुना है. असल में विधानसभा चुनाव में सवर्णों ने कांग्रेस को वोट दिया था. लेकिन सवर्ण आरक्षण के बाद कांग्रेस को डर है कि ये वर्ग कहीं भाजपा की तरफ न चला जाए.
विधानसभा अध्यक्ष के लिए कांग्रेस के दिग्गज नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. सीपी जोशी ने नामाकंन भरा.सीपी जोशी के समर्थन में और प्रस्ताव के रूप में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उपनेता राजेंद्र सिंह राठौड़ ने हस्ताक्षर किए. भाजपा के किसी भी सदस्य द्वारा नामांकन नहीं करने के कारण अब डॉ. जोशी का सर्वसम्मति से विधानसभा अध्यक्ष बनने का रास्ता साफ हो गया हैं.
पहले दिन सांगानेर से भाजपा विधायक अशोक लाहोटी ने संस्कृत में शपथ ली. कुछ विधायक राजस्थानी में शपथ ग्रहण करना चाहते थे, लेकिन प्रोटेम स्पीकर ने मना कर दिया, तो विधायक ने मुंह पर पट्टी बांधकर विरोध जताया. हालांकि पहले प्रदेश में कांग्रेस की नई सरकार में वरिष्ठ नेता सीपी जोशी या दीपेन्द्र सिंह नया विधानसभा अध्यक्ष के लिए नाम चल रहा था. सीपी जोशी केन्द्रीय मंत्री और सांसद भी रह चुके हैं और विधानसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस ने विधायकी का टिकट दिया था. जबकि दीपेन्द्र सिंह राज्य में पहले भी विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं.
ऐसा माना जा रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष का फैसला कांग्रेस आलाकमान ने सीपी जोशी के पक्ष में किया है. लिहाजा उनके नाम पर मुहर लगी है. असल में जोशी राज्य के कांग्रेस के बड़े नेता हैं और कांग्रेस आलाकमान से उनकी नजदीकियां भी हैं. इसके साथ ही जातीय समीकरणों को बैठाने के लिए कांग्रेस आलाकमान उन्हें विधानसभा अध्यक्ष नियुक्त कर सकता है. पार्टी आला कमान के स्तर से भी प्रदेश के नामों को लेकर बता दिया गया है. हालांकि विधानसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों के शपथ लेने के बाद स्पीकर चयन की प्रक्रिया शुरू होगी.
सीपी जोशी का राष्ट्रीय स्तर पर उनका काफी प्रभाव है और वह कई राज्यों के प्रभारी भी रह चुके हैं. मनमोहन सरकार में जोशी के पास कई मंत्रालयों का दायित्व था. हालांकि पार्टी ने विधानसभा चुनाव में पार्टी उन्हें अशोक गहलोत और सचिन पायलट की तरह चुनाव मैदान में उतारा गया था. ताकि गहलोत और पायलट की दावेवारी को कम किया जा सके. पहले ये भी चर्चा थी कि जोशी को राज्य में कैबिनेट मंत्री बनाया जाएगा, लेकिन गहलोत सरकार में उन्हें जगह नहीं मिली. आगामी लोकसभा चुनाव में ब्राह्मणों को खुश करने के लिए पार्टी उन्हें विधानसभा अध्यक्ष नियुक्त कर रही है.
Last Updated Jan 17, 2019, 8:28 AM IST