इस बार का लोकसभा चुनाव कुछ खास होगा। इस बार के चुनाव में मतदाता ये आसानी से जान सकेंगे कि जिस नेता को वह अपना प्रतिनिधि चुन रहे हैं वह नायक है या फिर खलनायक।
नई दिल्ली।
इस बार का लोकसभा चुनाव कुछ खास होगा। इस बार के चुनाव में मतदाता ये आसानी से जान सकेंगे कि जिस नेता को वह अपना प्रतिनिधि चुन रहे हैं वह नायक है या फिर खलनायक। जी हां इस चुनाव में प्रत्याशी को विज्ञापन देकर जनता को ये बताना होगा कि उसका अपराधिक रिकार्ड क्या है। इसके लिए प्रत्याशी को लोकप्रिय टीवी चैनल और अखबारों में विज्ञापन देना होगा।
इस बार चुनाव आयोग ने चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के लिए कड़े नियम बनाए हैं और इन नियमों से हर प्रत्याशी को गुजरना होगा। अगर कोई प्रत्याशी इन नियमों का पालन नहीं करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। अब प्रत्याशी को ये भी बताना होगा कि उसका अपराधिक इतिहास है। इसके लिए प्रत्याशी को प्रचार अवधि के दौरान ये बताना होगा कि वह अपराधी है और इसका व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार करना होगा।
प्रत्याशी को इस जानकारी को समाचार पत्रों और लोकप्रिय टीवी चैनलों में कम से कम तीन अलग-अलग तारीखों पर अपने आपराधिक रेकॉर्ड को सार्वजनिक करना होगा। असल में चुनाव आयोग ने 10 अक्टूबर 2018 को इसके लिए आदेश जारी किये और अब ये आदेश इस बार के लोकसभा चुनाव में भी लागू किए जाएंगे। यही नहीं प्रत्याशी के अलावा राजनैतिक दलों को भी अपने उम्मीदवारों के बारे में अपनी वेबसाइट पर जानकारी देनी जरूरी होगी। वहीं जिन उम्मीदवारों का आपराधिक रेकॉर्ड नहीं है, उन्हें इस बात का उल्लेख करना होगा। उम्मीदवारों को अब एक संशोधित फॉर्म (संख्या 26) भरना होगा।
विज्ञापन का खर्च भी प्रत्याशी के चुनावी खर्च में जोड़ा जाएगा। अगर कोई इस नियम का पालन नहीं करता है तो दलों पर मान्यता खत्म होने या निलंबित होने का खतरा रहेगा। असल में पिछले कई सालों के दौरान संसद और विधानसभाओं में अपराधिक छवि के लोग पहुंच रहे हैं। लेकिन सोशल मीडिया के इस दौर में कई लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती है कि उनके प्रत्याशी के ऊपर कितने गंभीर आरोप लगे हैं। क्योंकि अकसर नेता राजनैतिक दुश्मनी की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।
Last Updated Mar 11, 2019, 8:22 AM IST