नई दिल्ली। दो महीने पहले राज्यसभा के चुनाव में मणिपुर में कांग्रेस के दो विधायकों ने भाजपा प्रत्याशी को वोट दिया था और इसके लिए कांग्रेस ने दोनों विधायकों को इसके लिए नोटिस जारी किया था। लिहाजा अब इन दोनों विधायकों ने पार्टीको जवाब दिया है। इन दोनों विधायकों का कहना है कि भाजपा प्रत्याशी कांग्रेस के प्रत्याशी से ज्यादा योग्य थे। लिहाजा अपने विवेक का इस्तेमाल कर भाजपा प्रत्याशी को वोट दिया है। कांग्रेस प्रत्याशी को राज्यसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।

कांग्रेस ने आरके इमो सिंह और ओकराम हेनरी सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। कांग्रेस के दोनों विधायकों ने मणिपुर में राज्यसभा सीट के लिए हाल ही में संपन्न चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया था और इसके लिए कांग्रेस ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इन दोनों विधायकों ने राज्य ईकाई को अपना जवाब दिया है और कहा कि भगवा पार्टी के उम्मीदवार कांग्रेस के प्रत्याशी से ज्यादा योग्य थे। लिहाजा उन्हें वोट दिया गया था। इन दोनों विधायकों का कहना है कि उन्होंने  कभी कांग्रेस के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया और वह अभी भी पार्टी में हैं।

इन दोनों विधायकों ने भाजपा के उम्मीदवार लिसम्बा संजाओबा को वोट दिया था और कांग्रेस के उम्मीदवार मंगी बाबू के खिलाफ वोट का इस्तेमाल किया था। भाजपा को वोट देने वाले विधायक आरके इमो सिंह ने कहा, "यह सच है कि मैंने 19 जून को हुए राज्यसभा चुनाव में मणिपुर के महाराजा के पक्ष में मतदान किया था, क्योंकि इसमें मेरे विवेक ने कहा था कि और भाजपा प्रत्याशी राज्य सभा के सदस्य के पद के लिए सबसे योग्य व्यक्ति थे, जो मणिपुर के लोगों की सामूहिक इच्छा का प्रतिनिधित्व राज्यसभा में करते।

उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 59 और संविधान के प्रावधानों के अनुसार  राजनीतिक पार्टी द्वारा जारी किया गया व्हिप राज्यसभा के चुनाव में लागू नहीं होता है। उन्होंने कहा, "मैं अभी भी कांग्रेस का सदस्य हूं और अभी तक मैंने कभी भी पार्टी के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया है और न ही मैं भविष्य में ऐसा कोई बयान देना चाहता हूं।" उन्होंने कांग्रेस विधायक दल के नेता ओकराम इबोबी सिंह की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने राज्य में पार्टी को समाप्त कर दिया है और पार्टी की राज्य में विश्वसनीयता को नष्ट कर दिया है।