जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद से मीडिया के एक सेक्शन में ऐसी खबरें प्रकाशित की गई हैं कि सीआरपीएफ ने अपने जवानों को जम्मू से श्रीनगर ले जाने के लिए गृह मंत्रालय से हवाई यात्रा की व्यवस्था करने का आग्रह किया था, जिसे ठुकरा दिया गया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक ट्वीट से इन खबरों का खंडन किया है। 

गृह मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा, 'कुछ मीडिया में ऐसी खबरे प्रकाशित हुई हैं कि सीआरपीएफ जवानों को जम्मू से श्रीनगर लाने के लिए हवाई यात्रा की व्यवस्था करने से इनकार कर दिया था, यह खबरें सत्य नहीं हैं।'

गृहमंत्रालय की ओर से साफ किया गया है कि पिछले कुछ साल से केंद्रीय पुलिस बलों को लाने-लेजाने में लगने वाले समय को बचाने के लिए हवाई सेवाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमें छुट्टी के बाद घर से लौटना भी शामिल है। 

जम्मू-कश्मीर में भी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के लिए हवाई सेवाएं कुछ समय से संचालित की जा रही हैं। 2017 में केंद्रीय बलों के अनुरोध के बाद ये सेवाएं दिसंबर, 2017 से जम्मू-श्रीनगर-जम्मू के लिए शुरू की गई। इसके बाद इसे दिल्ली-जम्मू-श्रीनगर से जम्मू-दिल्ली के बीच भी शुरू कर दिया गया। यह एक हफ्ते में ऐसी सात फ्लाइटें संचालित की जाती हैं।

दिसंबर, 2018 में केंद्रीय गृहमंत्रालय की ओर से हवाई सेवाओं का रूट बढ़ाने को मंजूरी दे दी गई  थी। इनमें  दिल्ली-जम्मू-श्रीनगर से जम्मू-दिल्ली (हफ्ते में सातों दिन), श्रीनगर-जम्मू-श्रीनगर (हफ्ते में चार दिन) शामिल है। इसके अलावा वायुसेना की ओर से भी जरूरत के अनुसार हवाई मदद दी जाती है। जनवरी 2019 में भी सीआरपीएफ के लिए कई फ्लाइटें संचालित की गई हैं।  हालांकि, साजोसामान के काफिले की आवाजाही को ऑपरेशनल कारणों के चलते जारी रखा गया है। ऐसा ही सेना के मामले में भी है। 

वहीं सीआरपीएफ ने भी एक एडवाइजरी जारी की है। दरअसल, जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमला होने के बाद सोशल मीडिया पर तमाम तरह की पोस्ट डाली जा रही हैं। सीआरपीएफ ने कहा है कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रही जवानों के शारीरिक अंगों की कथित तस्वीरें और कश्मीरी छात्रों पर हमले की सभी खबरें झूठी हैं। जानबूझकर अफवाहें फैलाई जा रही हैं। सीआरपीएफ ने इस तरह की किसी भी तस्वीर को शेयर न करने और ऐसी अफवाहों और फोटो के बारे में सीआरपीएफ को सूचित करने की अपील भी की है।

सीआरपीएफ की एडवाइजरी में कहा गया है कि 'कश्मीरी छात्रों को परेशान किए जाने के बारे में कुछ शरारती तत्व सोशल मीडिया पर फर्जी खबरें फैला रहे हैं। सीआरपीएफ हेल्पलाइन ने ऐसी सभी खबरों और शिकायतों की जांच की और पाया कि यह सब झूठ है। यह सब नफरत फैलाने की कोशिश है, कृपया ऐसी पोस्ट को सर्कुलेट न करें।'

इसके अलावा सोशल मीडिया में पुलवामा के शहीदों के शरीर के अवशेषों की कथित फोटो को भी सीआरपीएफ ने फर्जी बताया है। सीआरपीएफ ने इस बारे में भी एडवाइजरी जारी की है। इसमें कहा गया है कि 'यह सामने आया है कि सोशल मीडिया पर कुछ आराजक तत्व शहीद जवानों के शरीर के अवशेष बताकर फर्जी फोटो को शेयर कर रहे हैं, जिससे लोगों के बीच नफरत फैलाई जा सके। लेकिन, हम सब एक हैं। ऐसे में आग्रह है कि किसी भी ऐसी पोस्ट या फोटो को शेयर, सर्कुलेट या लाइक ना करें। इसके अलावा ऐसे कंटेट की जानकारी webpro@crpf.gov.in पर शिकायत के रूप में दर्ज कराएं।'