नई दिल्ली। भारत में हैकर्स देश के सरकारी विभागों को निशाना  बना रहे हैं। हैकर्स दुश्मन देशों और आर्थिक फायदे के लिए देश  की आर्थिक व्यवस्था को तोड़ना चाहते हैं और इसके लिए साइबर अटैक कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक इस साल देश में 30 सितंबर तक 48 सरकारी वेबसाइट्स साइबर अटैक किए गए। ये अटैक पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के साथ ही यूरोप, नॉर्थ कोरिया, चीन से किए जा रहे हैं।

सरकार का भी मानना है कि देश में आतंकी हमलों के साथ ही साइबर हमलों की आशंका तेजी से बढ़ी है। दुश्मन देश देश की अर्थव्यवस्था पर साइबर अटैक कर इसे तबाह करना चाहते हैं। साथ ही सैन्य विभागों की साइटों पर हमला कर गुप्त जानकारी हासिल करना चाहते हैं। ताकि देश के खिलाफ इसे हथियार बना सके। यही नहीं अन्य दुश्मन देश साइबर हमला करने वालों के जरिए भारत के सरकारी विभागों पर ये अटैक करा रहा है। इसके लिए हैकर्स को ये देश काफी पैसा भी दे रहे हैं। 

केन्द्र सरकार की खुफिया एजेंसियों को जो जानकारी मिली है। उसके मुताबिक यूरोप से हैकर्स दुश्मन देशों के इशारे पर ऐसा करने की साजिश रच रहे हैं। लिहाजा केन्द्र सरकार ने कई विभागों की वेबसाइट को हाई साइबर अलर्ट पर रखा है। जांच एजेंसियों को जानकारी मिली है कि हैकर्स न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि चीन, नीदरलैंड, ताइवान, ट्यूनिशिया, रूस, सर्बिया समेत कई देशों से अटैक रहे हैं। यही नहीं आतंकी संगठन भी हैकर्स को पैसा मुहैया करा रहे हैं। जो इन्हें दुश्मन देशों की तरफ से दिया जा रहा है। कई हैकर्स अब विभिन्न विभिन्न आई एड्रेस का इस्तेमाल कर रहे हैं। जांच एजेंसियों के मुताबिक रूस और आसपास के देशों के आईपी अड्रेस से हैकर्स भारतीय सरकारी विभागों की साइट को हैक कर रहे हैं। ये एक नया ट्रेंड है।

जांच एजेंसियों का कहना है कि पाकिस्तान ने किसी आरोप से बचने के लिए पाकिस्तान के बाहर के दूसरे आतंकी संगठनों को साइबर हमले करने की जिम्मेदारी है। जिसके लिए इन संगठनों ने विभिन्न देशों के साइबर हैकर्स को नियुक्त है। गौरतलब है कि साइबर आतंकवाद से बचने भारत सरकार ने हाल ही में एनआईए की तर्ज पर साइबर सिक्यॉरिटी एजेंसी का गठन किया है। जिसमें सैन्य कमांड़ों की तरह साइबर कमांडो नियुक्त किए हैं।  क्योंकि आने वाले समय में युद्ध  ज्यादातर साइबर पर आधारित होंगे।