नई दिल्ली। कोरोना संकट काल में कई तरह के मामले सामने आ रहे हैं। जिसमें एक धर्म के मरीज का शव दूसरे धर्म के लोगों को अस्पताल सुपुर्द कर रहे हैं। एक ऐसी ही लापरवाही दिल्ली के एम्स अस्पताल में सामने आई जहां गाजियाबाद के हिन्दू परिवार को पहले मुस्लिम का शव दिया गया और उसने हिन्दू रीतिरिवाज से अंतिम संस्कार कराया गया। हालांकि बाद में एम्स ने गलती मानते हुए परिवार को दोबारा उनके परिजनों को उनका शव सौंपा। जिसके बाद परिजनों से दूसरी बार महिला का अंतिम संस्कार किया।

जानकारी के मुताबिक एम्स अस्पताल बड़ी लापरवाही सामने आई है। हालांकि बाद में अस्पताल प्रशासन ने अपनी गलती को मान लिया और फिर महिला का शव परिजनों को सौंपा। जबकि परिजन पहले मुस्लिम महिला के शव का अंतिम संस्कार कर चुके थे। हालांकि इस में घर वालों की भी गलती थी। क्योंकि उन्होंने महिला के शव का परीक्षण इसलिए नहीं किया। क्योंकि वह कोरोना संक्रमित थी। जानकारी के मुताबिक एम्स ने गाजियाबाद के एक हिन्दू परिवार ने अनजाने में एक मुस्लिम महिला का शव सौंप दिया और इसके बाद परिजनों ने हिन्दू रिवाजों के अनुसार उसका दाह संस्कार कर दिया।

इसके बाद एम्स अस्पताल ने दोबारा परिजनों को जानकारी दी कि उनके पास गलती से किसी दूसरी महिला का शव चला गया है और वह अपने रिश्तेदार का शव अस्पताल से ले जाए।  जानकारी के मुताबिक गाजियाबाद के विजयनगर के कैलाशनगर कालोनी में रहने वाली कुसुमलता की तबीयत खराब होने के कारण परिजनों ने उन्हें दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया था। जहां सोमवार की शाम उनकी मौत हो गई और मंगलवार की सुबह एम्स ने एक शव कुसुमलता के परिजनों को सुपुर्द कर दिया। घर वालों ने कुसुमलता के कोरोना संक्रमित होने के कारण शव को बैग में पैक कर दिया और हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार कर दिया।  

इसके बाद मंगलवार को फिर एम्स अस्पताल से फ़ोन आया और उनसे अपने शव को ले जाने के लिए कहा बताया कि गलती से कुसुमलता का शव बरेली निवासी अंजुम से बदल गया है। इसके लिए अस्पताल प्रशासन ने ग़लती मानी और कुसुमलता के शव को ले जाने को कहा। जिसके बाद एक बार फिर परिजन एम्स गए और कुसुमलता के शव को लेकर उसका दिल्ली में अंतिम संस्कार विधि विधान से किया। जानकारी के मुताबिक जिस महिला का अंतिम संस्कार किया जा चुका था वह शव बरेली की मुस्लिम महिला अंजुम का था। जिनकी एम्स में मौत हो गई थी।