एक मासूम सा मजाक आपको नवीन पटनायक के ओडिशा में गिरफ्तार करा सकता है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की दुहाई देने वाले मुंह पर ताला लगाकर बैठे रहेंगे, क्योंकि पीड़ित की राजनीतिक विचारधारा अलग है।
जिस शख्स की वजह से पूरा विवाद उठ खड़ा हुआ है, उनका नाम है अभिजीत अय्यर मित्रा, जो कि इंस्टीट्यूट ऑफ पीस एंड कॉनफ्लिक्ट स्टडीज(IPCS) में सीनियर फेलो हैं।
विवाद तब शुरु हुआ, जब अभिजित ने कोणार्क की कामोत्तेजक मूर्तियों और भित्तिचित्रों को लेकर व्यंग्यपूर्वक एक मजाक किया, जिसे ‘धार्मिक भावनाओं का मजाक उड़ाना’ करार दिया गया। जिसके बाद अभिजित अय्यर मित्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई और अब उन्हें दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया गया।
सूत्रों का कहना है कि अभिजित को आईपीसी की धारा 295 के तहत गिरफ्तार किया गया है, जो कि किसी धर्म या वर्ग की बेइज्जती करने के उद्देश्य से उनके धर्मस्थल को नुकसान पहुंचाने से संबंधित है। ओडिशा पुलिस ने उनकी पुलिस रिमांड की मांग की है और उन्हें ओडिशा ले जाने के लिए ट्रांजिट रिमांड भी मांगा है।
उनके दोस्त और वैज्ञानिक आनंद रंगनाथन को इस कहानी में से साजिश की गंध आ रही है। उन्होंने माय नेशन से बातचीत में बताया कि ‘यह वीडियो साफ तौर पर एक मजाक था। कल छुट्टी का दिन था, जिसके बाद सप्ताहांत की छुट्टियां पड़ेंगी। इस दौरान जमानत के लिए याचिका नहीं दाखिल की जा सकती। पुलिस ने पूरी रणनीति बनाकर उनकी गिरफ्तार के लिए इस समय का चुनाव किया है। ’
आइए जानते हैं, कि इतना बड़ा बवाल खड़ा होने का वास्तविक कारण क्या था। अय्यर मित्रा ने आखिरकार कहा क्या था? कोणार्क मंदिर में शूट किए गए इस वीडियो में अभिजित को व्यंग्यात्मक लहजे में यह कहते हुए सुना गया था, ‘यह टेंपल नहीं हं.......... है। यह सभी चरित्र(जो कि दीवारों पर सदियों से बने हुए हैं) वह हं....... हैं’ इस मंदिर की दीवारों पर हर तरफ कामोत्तेजक चित्र और मूर्तियां बनी हुई हैं।
वैसे कामुकता को भारतीय मिथकों में त्याज्य नहीं माना गया है। सिर्फ कोणार्क ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध खजुराहो में भी इस तरह की कामोत्तेजक मूर्तियां बनी हुई हैं।
जैसा कि हम सभी जानते हैं, कि मानवीय सभ्यता को प्रेम के तरीके सिखाने के लिए कामसूत्र की रचना भी भारत में ही हुई थी। यह प्राचीन पुस्तक, जो कि कामोत्तेजक तस्वीरों और शब्दों से भरी हुई है, आज 2018 में भी पढ़ी जाती है, यहां तक कि विदेशों में भी यह किताब बहुत पसंद की जाती है।
फिर क्यों ओडिशा पुलिस इस मामले को इतना तूल दे रही है? शायद अभिजित के द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्दों की वजह से पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया, लेकिन जिन लोगों ने अभिजित का वीडियो देखा है, वह साफ देख सकते हैं कि यह एक मासूम से मजाक के अलावा कुछ नहीं है। इसे जानबूझकर किसी धर्म को नुकसान पहुंचाने वाला बताया जाना एक क्रूर मजाक के सिवा और कुछ नहीं है।
लेकिन बारीकी से तफ्तीश करने पर समझ में आता है, कि मामला इतना सीधा सादा नहीं है। राजनीतिक हलकों में यह खबर आम है कि इस गिरफ्तारी के पीछे की असली वजह ओडिशा में चल रहा सत्ता संघर्ष है।
दरअसल अभिजित अय्यर मित्रा, पूर्व बीजेडी सांसद विजयंत जय पांडा के करीबी हैं, जिसकी वजह से वह हमेशा नवीन पटनायक सरकार के निशाने पर रहे हैं। उनका यह दौरा, जिसकी वजह से यह विवाद खड़ा हुआ, उसके लिए प्राइवेट हेलीकॉप्टर भी जय पांडा ने उपलब्ध कराया था।
राजनीतिक विचारकों का मानना है, कि अय्यर मित्रा की गिरफ्तारी और ओडिशा की गली गली में उनके खिलाफ जो प्रदर्शन हुए हैं, वह जय पांडा की छवि को धूमिल करने और उन्हें हिंदू विरोधी साबित करने की कोशिश है।
लेकिन इस गिरफ्तारी के विरोध में ट्विटर पर #IStandWithAbhijit के हैशटैग के साथ कैंपेन जबरदस्त तरीके से चल रहा है। पत्रकारों औऱ विचारकों ने इस गिरफ्तारी को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की है।
पर इस मामले में अभिव्यक्ति की आजादी की बात करने वालों की चुप्पी सचमुच आश्चर्यजनक है। यह वही लोग हैं, जिन लोगों ने माता सरस्वती की नग्न तस्वीर बनाने पर मकबूल फिदा हुसैन के उपर की गई कार्रवाई के विरोध में जमीन आसमान एक कर दिया था।
अभिव्यक्ति की आजादी की बात करने वाले इन्हीं बहादुरों ने संसद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को दी गई फांसी की सजा का विरोध किया था और जेएनयू में रावण के महिमामंडन को अभिव्यक्ति की आजादी करार दिया था। लेकिन आज वह अभिजीत के साथ खड़े होने के लिए तैयार नहीं है।
लेकिन ट्विटर, जो कि आम लोगों की भावनाओं की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है, वह अभिजीत के साथ खड़ा है, तो इसे पूरे देश का समर्थन माना जाना चाहिए।
Last Updated Sep 20, 2018, 7:07 PM IST