रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पदभार संभालने के दो दिन बाद ही दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र कहे जाने वाले सियाचिन में तैनात जवानों से मिलने पहुंचे और उनका हौसला बढ़ाया। यही नहीं उन्होंने 12,000 फुट की ऊंचाई पर विषम परिस्थितियों में सीमा की रक्षा कर रहे जवानों से एक खास वादा भी किया।  

सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत और उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ रणबीर सिंह के साथ सियाचिन पहुंचे राजनाथ ने जवानों की बहादुरी को सलाम किया। उन्होंने कहा, वह देश की रक्षा कर रहे इन जवानों के माता-पिता को व्यक्तिगत रूप से पत्र लिखकर उनके बेटों को देश सेवा में भेजने के लिए धन्यवाद देंगे। इस दौरान राजनाथ ने सियाचिन युद्ध स्मारक पर पुष्पमाला भी चढ़ाईं।

रक्षा मंत्री ने ट्वीट किया, ‘सियाचिन में हमारे जवान प्रतिकूल परिस्थितियों और दुर्गम क्षेत्र में पूरे साहस और धैर्य के साथ अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। मैं उनके जोश और पराक्रम को सलाम करता हूं।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे सियाचिन में सेवारत अपने सभी सैनिकों पर गर्व है जो हमारी मातृभूमि की रक्षा में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।’रक्षा मंत्री ने कहा, ‘मुझे उनके माता-पिता पर भी गर्व है जिन्होंने अपने बच्चों को सशस्त्र बलों में देश सेवा के लिए भेजा।’ 

कराकोरम रेंज में स्थित सियाचिन ग्लेशियर दुनिया का सबसे ऊंचा सैन्य क्षेत्र है जहां जवानों को अत्यधिक सर्दी और तेज हवाओं का सामना करना पड़ता है। सर्दियों में ग्लेशियर पर भूस्खलन और हिमस्खलन आम बात है। यहां तापमान शून्य से 60 डिग्री सेल्सियस नीचे तक चला जाता है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि 1,100 से अधिक जवान सियाचिन ग्लेशियर की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दे चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘राष्ट्र सदैव उनकी सेवा और बलिदान का ऋणी रहेगा।’रक्षा मंत्री के तौर पर दिल्ली के बाहर अपने पहले दौरे में सिंह ने क्षेत्र के शीर्ष फील्ड कमांडरों के साथ सियाचिन में सुरक्षा तैयारियों का जायजा भी लिया।

बाद में वह पाकिस्तान द्वारा किसी तरह की प्रतिकूल स्थिति पैदा करने पर भारत के निपटने की तैयारियों का जायजा लेने के लिए यहां बदामीबाग कैंट में चिनार कोर के मुख्यालय पहुंचे। राजनाथ सिंह से पहले रक्षा मंत्री रहे शरद पवार, जॉर्ज फर्नांडीज, मुलायम सिंह यादव और निर्मला सीतारमण ने भी सियाचिन का दौरा किया था।