सियाचिन ग्लेशियर दौरे में सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत भी होंगे साथ। उत्तरी कमान के अधिकारियों के साथ मिलकर करेंगे रक्षा तैयारियों की समीक्षा। जवानों का हौसला भी बढ़ाएंगे।
रक्षा मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद राजनाथ सिंह अपने पहले दौरे में दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर जाएंगे। वह पाकिस्तान के साथ लगी सीमा पर सुरक्षा हालात की समीक्षा करेंगे। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, इस दौरान उनके साथ थल सेना अध्यक्ष जनरल विपिन रावत और रक्षा मंत्रालय के दूसरे अधिकारी भी होंगे। रक्षा मंत्री यहां बने युद्ध स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद जवानों से मुलाकात करेंगे।
Raksha Mantri Shri @rajnathsingh will visit Ladakh region in Jammu and Kashmir tomorrow.
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) June 2, 2019
During his visit he will interact with jawans at a forward post and pay his tributes to fallen soldiers at Siachen War Memorial.
He will also interact with the jawans at Siachen base camp
सियाचिन में राजनाथ सिंह को सेना द्वारा वायुसेना की मदद से चलाए गए ऑपरेशंस की जानकारी दी जाएगी। सेना की उत्तरी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह और कारगिल युद्ध के हीरो 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी द्वारा रक्षा मंत्री को इस क्षेत्र के सुरक्षा हालात का ब्यौरा दिए जाने की संभावना है। सेना ने इस जगह एक ब्रिगेड तैनात कर रखी है। यहां कुछ सैन्य चौकियां 23,000 हजार फीट से ज्यादा ऊंचाई पर हैं। इन पोस्टों पर सांस लेना भी काफी कठिन होता है।
कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान सियाचिन से सेना हटाने की योजना थी लेकिन सेना ने इस कदम का विरोध किया। भारतीय सेना 1984 में ऑपरेशन मेघदूत चलाकर सियाचिन ग्लेशियर को अपने कब्जे में ले लिया था। सेना के जवानों ने पर्वतारोहियों से दोगुनी तेजी से सियाचिन की चोटियों पर पहुंचकर वहां कब्जा किया और पाकिस्तानी सेना को हरा दिया।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सियाचिन के आसपास के इलाकों का भी दौरा कर सकते हैं। रक्षा मंत्री के तौर कार्यभार संभालने के बाद राजनाथ ने रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाले विभिन्न विभागों के प्रमुखों को उनके समक्ष के विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है। सभी विभागों को उनके द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों और प्रोजेक्टों का ब्यौरा देने को कहा गया है। अधिकारियों को सभी प्रोजेक्टों को समय पर पूरा करने को कहा गया है ताकि सेना के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया को प्रभावी बनाया जा सके। शनिवार को तीनों सेनाओं के प्रमुखों और रक्षा सचिव संजय मित्रा ने रक्षा मंत्री को मंत्रालय से जुड़े सभी प्रोजेक्टों की जानकारी दी गई थी।
सियाचिन ग्लेशियर दुनिया का सबसे ऊंचा युद्ध क्षेत्र है। 1984 से लेकर अब तक यहां करीब 900 जवान शहीद हो चुके हैं। इनमें से ज्यादातर की शहादत एवलांच और खराब मौसम के कारण हुई। सियाचिन से चीन और पाकिस्तान दोनों देशों पर नजर रखी जा सकती है। सर्दियों में यहां का न्यूनतम तापमान माइनस 50 डिग्री तक गिर जाता है। एक अनुमान के मुताबिक, सियाचिन में सेना की तैनाती पर प्रतिदिन सात करोड़ रुपये खर्च होते हैं। इससे पूर्व रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण, मनोहर पर्रिकर ने भी सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर का दौरा किया था।
Last Updated Jun 2, 2019, 2:13 PM IST