नई दिल्ली:  तिहाड़ जेल प्रशासन ने पटियाला हाउस कोर्ट के उस फैसले को हाइकोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें निचली अदालत ने मिशेल को 15 मिनट तक फोन कॉल करने की इजाजत दी थी। प्रशासन ने कहा कि निचली अदालत का यह फैसला जेल मैन्युवल के खिलाफ है। 

 क्रिश्चियन मिशेल की याचिका पर पटियाला हाउस कोर्ट की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने मिशेल को कोर्ट से हर हप्ते 15 मिनट तक फोन पर बात करने की अनुमति मिली है। 
मिशेल ने कोर्ट से अपील की थी कि उसे अपनी पत्नी, बहन और वकील से फोन पर बात करने की अनुमति दी जाए। उसकी पत्नी फ्रांस में, बहन ब्रिटेन में रहती है जबकि वकील रोजमैरी इटली में है। 

कोर्ट के फैसले को जेल प्रशासन ने यह कहते हुए चुनौती दिया कि कोर्ट अपने फैसले पर फिर से विचार करे, क्योंकि विदेशी कैदियों को अपने परिजनों और वकीलों से बात करने के लिए 10 मिनट अंतराष्ट्रीय कॉल करने की सुविधा दी जाती है। 

जेल प्रशासन का यह भी तर्क था कि मिशेल फोन पर बातचीत के दौरान उस ब्यौरे को लीक कर सकता है जो सुरक्षा एजेंसियों ने पूछताछ के बाद जुटाए है। लेकिन निचली अदालत ने जेल प्रशासन की इन दलीलों को खारिज कर दिया था। जिसके बाद अब जेल प्रशासन ने दिल्ली हाइकोर्ट में याचिका दाखिल की है।

 मिशेल को संयुक्त अरब अमीरात से प्रत्यर्पण कराकर भारत लाया गया है। उसने सीबीआई की प्रत्यपर्ण संबंधी अपील का विरोध किया था। लेकिन यूएई की कोर्ट ने उसकी दलीलों को खारिज करके सीबीआई को उसे ले जाने की अनुमति दे दी। एजेंसी 5 दिसंबर को विशेष विमान से मिशेल को दिल्ली लेकर आई थी। 

गौरतलब है कि 3600 करोड़ अगस्ता वेस्टलैण्ड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर की खरीद में मिशेल से पूछताछ के बाद ईडी ने कोर्ट को बताया था कि उसने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी का नाम लिया है।