नई दिल्ली। पिछले दो साल के दौरान कांग्रेस देश के पांच राज्यों की सत्ता पर काबिज हुई है। लेकिन उसके बावजूद कांग्रेस राज्यसभा में कमजोर होगी। क्योंकि राज्यों में सत्ता में होने के बावजूद उसके बाद पास अपने नेताओं को उच्च सदन में पहुंचाने के लिए जरूरी बहुमत नहीं है। पिछले दो महीने के दौरान कांग्रेस सहयोगी दलों के सहारे महाराष्ट्र और झारखंड की सत्ता में काबिज हो चुकी है। 

पिछले साल कांग्रेस ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान को जीतकर सबको चौंका दिया था। हालांकि मध्य प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा के बीच जीत का अंतर ज्यादा नहीं था। जबकि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने बड़ी जीत दर्ज की थी। राज्यों की सत्ता में काबिज होने के बावजूद अब कांग्रेस राज्यसभा में कमजोर होगी। इस साल राज्यसभा के लिए होने वाले द्विवार्षिक चुनाव में उसकी स्थिति कमजोर होगी। राज्यसभा में कांग्रेस के 17 सदस्य रिटायर हो रहे हैं।

लिहाजा इन सीटों पर जीत दर्ज करना कांग्रेस के लिए आसान नहीं है। क्योंकि राज्यसभा की जो सीटें खाली हो रही हैं वह भाजपा शासित राज्यों से हैं। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य उत्तराखंड, ओडिशा, यूपी, मिजोरम, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश से रिटायर हो रहे हैं और इन नेताओं की उच्च सदन में फिर से वापसी मुश्किल है। हालांकि को छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान कुछ अतिरिक्त सीटें मिल सकती हैं।

ये सदस्य हो रहे हैं रिटायर

इस साल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य मोतीलाल वोरा, दिग्विजय सिंह, बीके हरिप्रसाद, राजबब्बर, राजीव गौड़ा, मधुसूदन मिस्त्री, पीएल पूनिया, कुमारी शैलजा रिटायर हो रहे हैं। वहीं कांग्रेस को छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में दो-दो सीटें मिलेंगी।

ये सीटें जाएंगी हाथ से

यूपी से राज्यसभा सांसद पीएल पूनिया नवंबर में रिटायर होंगे। जबकि राज्य में कांग्रेस के महज 9 विधायक हैं। लिहाजा समूचा विपक्ष कांग्रेस को समर्थन करने के लिए राजी नहीं होगा। जबकि उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद राजबब्बर का कार्यकाल खत्म हो रहा है। जबकि राज्य में कांग्रेस इस स्थिति में नहीं है कि वह दोबारा राजबब्बर को राज्यसभा में पहुंचा सके। कुछ इस तरह के हालात हिमाचल और ओडिशा और कर्नाटक के भी हैं। जहां पार्टी के पास राज्यसभा के लिए जरूरी पूर्ण बहुमत नहीं है। हालांकि कांग्रेस के लिए राजस्थान से राहत की खबर आ सकती है। क्योंकि यहां पर तीन सीटें खाली हों रही है और इसमें दो सीटें कांग्रेस के खाते में आना तय है।