नई दिल्ली। केन्द्र सरकार आज किसान और कृषि से जुड़े विधेयक को राज्यसभा में पेश करेगी। लिहाजा देशभर में विपक्षी दलों के हो रहे विरोध के बीच कांग्रेस राज्यसभा में सरकार को घेरने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विदेश से पार्टी सांसदों को रविवार को सदन में उपस्थित रहने की हिदायत दी है। क्योंकि माना जा रहा है कि केन्द्र सरकार इसे राज्यसभा में पारित कर सकती है। लिहाजा कांग्रेस इसके खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट कर केन्द्र सरकार को झटका देना चाहती है।

गौरतलब है कि राज्यसभा में एनडीए का बहुमत नहीं है और उसका सहयोगी शिरोमणि अकाली दल भी इन विधेयकों के खिलाफ है। इसके साथ ही अन्य दल जो केन्द्र सरकार को मुद्दों के आधार पर राज्यसभा में सरकार को समर्थन देते थे वह भी इसके खिलाफ है। माना जा रहा है कि कांग्रेस इस विधेयक को सलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग कर सकती है। हालांकि कांग्रेस इस विधेयक के विरोध कर खुद अपने ही जाल में फंस चुके है।

क्योंकि कुछ समय पहले तक कांग्रेस इस विधेयक के समर्थन में थी और मंडियों से दलालों को बाहर करने की मांग कर रही थी। कांग्रेस का कहना था कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलना चाहिए और आढ़त व्यवस्था को खत्म करना चाहिए। हालांकि बताया जा रहा है केन्द्र सरकार बीजेडी, टीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस और एआईडीएमके के समर्थन से इस विधेयक को पारित आसानी से करा सकता है।

कई सांसद कोरोना संक्रमण की वजह से संसद नहीं आ रहे हैं और कांग्रेस सरकार पर दबाव बनाकर इस विधेयक को समिति को भेजने के लिए केन्द्र सरकार पर दबाव बनाएगी। वहीं कांग्रेस की रणनीती को फेल करने के लिए भाजपा ने भी रणनीति बनाई है और अपने सांसदों से संसद में मौजूद रहने को कहा है। भाजपा ने रविवार को अपने सांसदों को सदन में उपस्थित रहने को कहा है। वहीं बताया जा रहा है कि किसानों के विरोध को देखते हुए भाजपा के अंदर भी किसानों की आशंकाओं को दूर करने की बात कही जा रही है।