कोलकाता। पश्चिम बंगाल में एक बार फिर राज्यपाल और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच ठन गई है। राज्य सरकार ने राज्यपाल को कोलकाता से छह सौ किलोमीटर जाने के लिए सरकार हेलीकॉप्टर को देने से मना कर दिया है। राज्य सरकार का कहना है कि ये जनता के पैसे का दुरुपयोग है। लिहाजा राज्यपाल कार से मुर्शिदाबाद जाने के लिए कार का इस्तेमाल करे। इसके पीछे राज्य सरकार के तर्क हैं कि राज्य की सीएम ममता बनर्जी भी सैकड़ों किलोमीटर दूर सड़क मार्ग से ही जाती हैं। हालांकि इससे पहले भी राज्य सरकार राज्यपाल को हेलीकॉप्टर देने को मना चुकी है।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल को जगदीप धनकड़ को एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए राज्य के मुर्शिदाबाद जिले में जाना था। इसके लिए राज्यपाल के कार्यालय द्वारा राज्य सरकार को एक हेलीकॉप्टर मुहैया कराने की गुजारिश की गई थी। लेकिन राज्य सरकार ने राज्यपाल को हेलीकॉप्टर देने से मना कर दिया है। जबकि कोलकाता से मुर्शिदाबाद की दूरी करीब छह सौ किलोमीटर से ज्यादा है। राज्य सरकार का कहना है कि राज्यपाल को कार से इस दूरी को तय करना चाहिए। क्योंकि राज्य की सीएम ममता बनर्जी कार से ही राज्य का दौरा करती हैं।

राज्यपाल को आज सुबह कार्यक्रम के लिए कोलकाता से जाना था। लेकिन राज्यपाल कार्यालय द्वारा दो बार आग्रह भेजने के बाद भी राज्य सरकार ने राज्यपाल को सरकारी हेलीकॉप्टर मुहैया नहीं कराया। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। इससे पहले भी राज्य सरकार ने राज्यपाल को सरकारी हेलीकॉप्टर देने से मना कर दिया था। पिछले सप्ताह ही राज्यपाल को नदिया जिले के शांतिपुर में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए जाना था और इसके लिए राज्यपाल कार्यालय द्वारा राज्य सरकार को लिखा गया था।

लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें हेलीकॉप्टर देने से इनकार कर दिया था। इस बारे में टीएमसी का कहना है कि यह जनता के पैसे का दुरुपयोग है। वही इस मामले के तूल पकड़नने के बाद राज्य के कैबिनेट मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य का कहना है कि राज्यपाल के कार्यक्रम का कारण स्पष्ट नहीं है। वहीं राज्य की सीएम ममता बनर्जी भी अकसर कार से ही राज्य का दौरा करती हैं। हालांकि पश्चिम बंगाल में राज्य सरकार और राजभवन के बीच तल्खी जगजाहिर है।

पिछले दिनों ही राज्यपाल ने राज्य सरकार के सरकारी कार्यक्रमों से दूरी बना ली थी। क्योंकि राज्यपाल का कहना था कि सरकारी कार्यक्रमों में राज्यपाल को सम्मान नहीं दिया जाता और न ही प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है। जिसके बाद राज्यपाल ने सरकारी कार्यक्रमों में जाना बंद कर दिया था।