भोपाल: दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कांग्रेस के वरिष्ठ राजनेता दिग्विजय सिंह ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि उन्हें राजनीति में बिल्कुल नई आईं साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर से इतनी कड़ी टक्कर मिलेगी। हिंदू आतंकवाद के कथित आरोप में जेल भेजी गईं साध्वी प्रज्ञा हर तरफ घूमकर खुद को जेल में दी गई उन यातनाओं कहानी सुना रही हैं, जिसके जिम्मेदार कहीं न कहीं दिग्विजय सिंह भी हैं। 

यही वजह है कि राजनीतिक लड़ाई में दिग्विजय सिंह बैकफुट पर आते हुए दिख रहे हैं। शायद इसीलिए दिग्विजय सिंह ने जीत हासिल करने के लिए हर संभव तरीका आजमाने का फैसला किया है। वह कभी गायों को रोटी खिलाते हुए दिख रहे हैं तो कभी किसी बाबा के साथ हठयोग में बैठ रहे हैं, कहीं उनके समर्थक जनता को दिग्विजय की नर्मदा यात्रा की याद दिलाते हुए वोट देने की अपील करते हुए नजर आ रहे हैं। 

1.    दतिया के प्रसिद्ध तांत्रिक पीठ में अनुष्ठान
 दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश में प्रसिद्ध तंत्र पीठ दतिया जाकर बगलामुखी की भी आराधना की है। दस महाविद्याओं में से एक बगलामुखी की साधना शत्रु नाश के लिए की जाती है। 
महाभारत काल का यह मंदिर पांडवों ने अपनी आराध्य देवी के लिए बनवाया था। जो कि तांत्रिक क्रियाओं और अनुष्ठानों के लिए प्रसिद्ध है। 
यहां कई बड़े नेता पूजा पाठ और अनुष्ठानों के लिए आते रहे हैं। खुद इंदिरा गांधी ने भी यहां पूरा करवाई थी। 
साध्वी प्रज्ञा ने दिग्विजय को इतने कठोर मुकाबले में डाल दिया है कि उन्हें भी माता बगलामुखी की शरण में जाने के सिवा कुछ और नहीं सूझा। दिग्विजय की तांत्रिक पूजा का वीडियो देखें यहां--  "
 
2.    गायत्री परिवार के आश्रम जाकर गायों को रोटी खिलाना
अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए गायों को रोटी खिलाना हिंदू धर्म में एक प्रमुख अनुष्ठान माना जाता है। भोपाल सीट से जीत दर्ज करने के चक्कर में दिग्विजय सिंह इससे भी नहीं चूके। उन्होंने भोपाल के एमपी नगर स्थित गायत्री मंदिर में जाकर माथा टेका और वहां की गोशाला मे गायों को चारा खिलाकर जीत की आशीर्वाद मांगा। दिग्विजय सिंह वहां गुरुवार यानी 9 मई को गए थे।   


3.    माता नर्मदा का सहारा 
दिग्विजय सिंह ने 30 सितंबर 2017 से नर्मदा यात्रा शुरु की थी। उत्तर भारत में यह धार्मिक यात्रा बेहद अहम मानी जाती है। दिग्विजय ने यह यात्रा 192 दिनों में पूरी की। इसका आखिरी पड़ाव नरसिंहपुर जिले का बरमान घाट था। जहां पर वह 9 अप्रैल 2018 को पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने मध्य प्रदेश की 110 विधानसभा सीटों का दौरा किया था। 
दिग्विजय सिंह ने यह यात्रा मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले की थी। उन्हें उम्मीद थी कि अपनी इस यात्रा के बाद उन्हें फिर से मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का मौका मिलेगा। लेकिन वर्तमान मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया।  
लेकिन अब जब लोकसभा चुनाव संपन्न हो रहे हैं तो दिग्विजय सिंह को अपनी नर्मदा यात्रा की फिर से याद आ गई है। उन्होंने गुरुवार यानी 9 मई को फिर से भोपाल के तुलसीनगर स्थित नर्मदा मंदिर का दौरा किया और लोगों को अपनी नर्मदा यात्रा की याद दिलाई। 
यही नहीं उनके समर्थक छोटी छोटी बोतलों में नर्मदा का जल भरकर आम लोगों को दिग्विजय सिंह की नर्मदा यात्रा की याद दिला रहे हैं और उनसे दिग्गी राजा को वोट देने की अपील कर रहे हैं। देखिए वीडियो----"


4.    हठयोग के आसरे दिग्विजय
दिग्विजय सिंह साध्वी प्रज्ञा पर जीत हासिल करने के लिए इतने आतुर है कि वह इसके लिए कोई कोर कसर छोड़ना नहीं चाहते। वह 7 मई यानी मंगलवार को कंप्यूटर बाबा की शरण में पहुचे। जो कि योग साधना के माहिर माने जाते हैं। 
दिग्विजय यहां अपनी पत्नी अमृता राय के साथ बाबा के योग कैंप में पहुंचे। जहां कंप्यूटर बाबा भीषण गर्मी में पंचाग्नि का सेवन कर रहे थे। 
दिग्विजय ने उनके ठीक पीछे अपनी धूनी रमा ली और वहां पूजा अर्चना करके अपनी चुनावी नैया पार लगाने की प्रार्थना की। 
देखिए वीडियो--"

दरअसल दिग्विजय सिंह की उम्र 70 वर्ष से भी अधिक है और वह पिछले चालीस सालों से राजनीति में सक्रिय हैं। भोपाल में उनके सामने चुनावी मैदान में उतरी साध्वी प्रज्ञा अभी हाल ही में राजनीति मे उतरी हैं। ऐसे में अगर दिग्विजय सिंह यहां से चुनावी जंग हार जाते हैं तो यह उनके राजनीतिक करियर के लिए बड़ा झटका साबित होगा। 
क्योंकि कांग्रेस में भी दिग्विजय सिंह का विरोधी खेमा बहुत सक्रिय है। यही वजह है कि दिग्विजय सिंह के नहीं चाहने पर भी उन्हें भोपाल जैसी कठिन सीट से टिकट दिया गया। अगर दिग्गी राजा यहां से चुनाव हार जाते हैं तो यह एक तरीके से उनकी राजनीतिक यात्रा का अंत हो जाएगा। दिग्विजय सिंह इसी को टालने के लिए तंत्र-मंत्र, टोना-टोटका जैसे हर हथियार आजमा रहे हैं।