उत्तर प्रदेश में जिन मौजूदा सांसदों के टिकट काटे हैं उन पर विपक्ष की नजर है। विपक्ष उनकी इस नाराजगी का फायदा उठाने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ रहा है। फिलहाल उत्तर प्रदेश में पार्टी ने अभी तक 12 मौजूदा सांसदों के टिकट काटे हैं। लिहाजा ज्यादातर सांसद विपक्षी दलों के नेताओं के संपर्क में हैं। ताकि अगर सीट पर फैसला हो जाए तो वह भाजपा को छोड़कर अन्य दलों का दामन थामें।

अभी तक उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने 62 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा की है। इसमें से पार्टी ने 12 मौजूदा सांसदों का टिकट काटा है। हालांकि कुछ सांसद तो टिकट कटने की आशंकाओं को देखते हुए पहले ही अन्य दलों में चले हैं। प्रदेश में भाजपा से सबसे पहले बगावत करने वाली बहराइच से सांसद सावित्रि फुले ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। वह आजकल प्रियंका गांधी के साथ सक्रिय हैं और उनकी रैलियों में दिखाई देती हैं। कांग्रेस ने उन्हें बहराइच से लोकसभा का टिकट दिया है।

वहीं टिकट काटे जाने से नाराज हरदोई के सांसद अंशुल वर्मा भाजपा को छोड़ कर छोड़कर सपा से अपना नाता जोड़ चुके हैं तथा कुछ अन्य सांसद भी इसी जुगत में हैं। वहीं इलाहाबाद से भाजपा सांसद श्यामा चरण गुप्ता ने सपा का दामन थाम लिया और पार्टी ने उन्हें बांदा से अपना उम्मीदवार भी घोषित कर दिया है। वहीं बलिया में टिकट कटने से नाराज सांसद भरत सिंह के समर्थक तो पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के विरोध पर आमादा है। उन्होंने खुद को ‘बलिया का चौकीदार‘ घोषित किया। हालांकि कानपुर के सांसद मुरली मनोहर जोशी भी कानपुर की जनता के नाम पत्र जारी कर अपनी नाराजगी जता चुके हैं और जोशी पार्टी नहीं छोड़ेगे ये तो तय है।

लेकिन उनकी नाराजगी पार्टी को चुनाव में नुकसान पहुंचा सकती है। अभी तक भाजपा ने जिन सांसदों के टिकट काटे हैं उनमें फतेहपुर सीकरी के चौधरी बाबू लाल, कुशीगनर के राजेश पांडेय, कानपुर से मुरली मनोहर जोशी, बाराबंकी से प्रियंका रावत, शाहजहांपुर से केंद्रीय मंत्री कृष्णा राज, मिश्रिख (सु) से अंजू बाला, संभल से सत्यपाल सैनी और इटावा से अशोक कुमार दोहरे शामिल हैं। वहीं अभी भाजपा पूर्वांचल की कुछ सीटों पर मौजूदा सांसदों के टिकट काट सकती है।