कोलकाता। पश्चिम बंगाल में धरती का भगवान  माने जाने वाले डाक्टर और मेडिकल स्टॉफ खौफ में है।  क्योंकि डाक्टर और मेडिकल स्टॉफ के पास पीपीई किट मास्क, फेस शील्ड, गॉगल्स, दस्ताने, सैनिटाइज़र नहीं है और सरकार उन्हें कोरोना से लड़ने के लिए फील्ड में जाने को कह रही है। जिसके बाद पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों के फोरम ने ममता सरकार को तीसरा पत्र लिखता है और अपनी चिंताओं को लेकर चेतावनी दी है।  वहीं डाक्टरों का कहना है कि राज्य सरकार को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद को कोविड-19  के टेस्ट के परीक्षणों की संख्या में तेजी लाने के लिए सहयोग करना चाहिए।

बंगाल डॉक्टर्स फोरम ने तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव राजीव सिन्हा को लिखा है। डाक्टर का कहनाा है कि राज्य में डाक्टर और  स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए पीपीई, एन95,मास्क, फेस शील्ड, गॉगल्स, दस्ताने, सैनिटाइज़र उपलब्ध नहीं और प्रशासन कोरोना इन सब के बगैर फील्ड में कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए कह रहा है। फोरम ने कहा कि सभी स्वास्थ्य कर्मियों और डॉक्टरों के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों, एन 95 मास्क, फेस शील्ड, दस्ताने और काले चश्मे की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए करें। डाक्टरों का कहना है कि राज्य के विभिन्न अस्पतालों और वार्डों में मरीजों का इलाज करने वाले मेडिकल इंटर्न और फ्रंटलाइन डॉक्टरों के पास संसाधन न होने के कारण वह कोरोना संक्रमित हो चुके हैं।  

फोरम ने कहा कि राज्य में कम से कम 150 हेल्थकेयर वर्करों संक्रमित हो चुके हैं और वह क्वारंटिन किए गए हैं। पश्चिम बंगाल डॉक्टर्स फोरम के सचिव डॉ. कौशिक चाकी ने कहा कि महामारी के बीच में महामारी से बचने की जरूरत है। पश्चिम बंगाल में कोरोनवायरस के मामले बढ़कर 1,939 हो गए और राज्य में मरने वालों की संख्या बढ़कर 118 हो गई है। अकेले कोलकाता में मामलों की संख्या 621 तक पहुंच गई है। उधर राज्य की मुख्यमंत्री केन्द्र सरकार पर भेदभाव का आरोप लगा रही है और केन्द्रीय टीम को राज्य में ज्यादा टेस्ट करने की अनुमति नहीं दे रही है। लिहाजा डाक्टरों के फोरम  ने कहा कि राज्य सरकार केन्द्रीय टीम को अनुमति दे।