नई दिल्ली। चीन की गोद में बैठे नेपाल को चीन ने अपनी असली औकात दिखा दी। चीन ने पिछले 3 साल से नेपाल के रुई गांव पर कब्जा किया हुआ है और नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार चुपी बैठी है। जबकि नेपाल भारत की जमीन पर दावा कर रहा है। लेकिन अब नेपाल के लोगों में चीनी साजिश को लेकर आक्रोश है।  वहीं नेपाली सरकार इस साजिश को अनदेखा कर रही है।


नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार भारत के लिपुलेख, कालापानी, लिंपियाधुरा पर दावा कर रहा है। लेकिन वह चीन के कब्जे से अपनी जमीन अभी तक नहीं छुड़ा पाया है। नेपाल की जमीन पर चीन ने पिछले तीन साल से कब्जा किया हुआ है और नेपाल की सरकार खामोश बैठी है।  जानकारी के मुताबिक नेपाल के रुई गांव में चीनी सेना का कब्जा है और इसको लेकर पिछले तीन साल से नेपाल की सरकार खामोश है। यही नहीं देश राष्ट्रहित की बात करने वाली नेपाल की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी की सरकार इस पर खामोश बैठी हुई है।  जबकि नेपाल की केपी शर्मा सरकार भारत का विरोध कर चीन को खुश करने में लगी है और अपनी जमीन को चीन से नहीं छुड़ा पा रही है। नेपाल में आम लोगों में चर्चा है कि देश की केपी शर्मा ओली सरकार ड्रैगन के हाथों बिक गई है और उसने चुप्‍पी साध रखी है।

नेपाली अखबार अन्‍नपूर्णा पोस्‍ट में छपी एक लेख के मुताबिक चीन ने रुई गांव में 2017 में कब्जा किया हुआ है और इसके बाद ये इलाका तिब्‍बत के स्‍वायत्‍त क्षेत्र का हिस्‍सा हो गया है। अखबार के मुताबिक इस गांव में अभी 72 घर हैं और यहां रहने वाले नेपाली है। यही नहीं रुई गांव अभी भी नेपाल के मानचित्र में है लेकिन यहां पर अब चीन का कब्जा हो गया है। चीन ने रुई गांव में लगे सीमा के स्तंभों को हटा दिया है और इसे हटाकर अपने स्तंभ लगा दिए हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नेपाली इतिहासकार रमेश धुंगल का मानना है कि साल 2017 तक रुई और तेइगा गांव नेपाल के गांव थे और नेपाल सरकार की लापरवाही के कारण रुई और तेघा गांव को नेपाल ने खो दिया है। इसके लिए नेपाल की भ्रष्ट सरकार है। नेपाल के उत्तरी सीमा के इन गांवों हाल काफी खराब है और नेपाल की सरकार नेपाल की जनता की नहीं सुन रही है और अब इस मामले में फंसती नजर आ रही है।