नई दिल्ली। चीन यानी ड्रैगन की मुश्किलें जल्द ही बढ़ सकती हैं। अमेरिका ने पहले से चीन के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है और धमकी दी है वह चीन के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगा सकता है। वहीं दुनिया के 62 देशों ने भी चीन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है इसमें भारत भी शामिल है। वहीं दुनिया के ज्यादातर देश और अमेरिका ताइवान के जरिए चीन को घेरने की तैयारी में है। जिसके बाद ड्रैगन की मुसीबतें बढ़ने जा रही हैं।

अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने डब्लूएचओ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और  उन्होंने डल्लूएचओ को चीन के हाथों की कठपुतली बताया है। असल में अभी तक डब्लूएचओ ने चीन के खिलाफ किसी भी तरह की कार्यवाही नहीं की है। जबकि दुनिया के ज्यादातर देश चीन पर कोरोना संक्रमण फैलाने का आरोप लगा रहे हैं।  वहीं डब्लूएचओ ने चीन को क्लीन चिट दी है।  जिससे साफ होता कि बगैर किसी जांच के डब्लूएचओ ने चीन को क्लीन चिट दी है। वहीं अमेरिका ने डब्लूएचओ को दी जाने वाले फंडिग भी बंद कर दी है। हालांकि चीन ने कहा कि वह डब्लूएचओ को ज्यादा फंड देगा।

असल में कोरोना वायरस की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई। लेकिन दिलचस्प बात ये है कि वुहान से कोरोना शंघाई या बीजिंग नहीं पहुंचा। लेकिन ये दुनिया के सभी देशों में पहुंच गया है और वहां इसने तबाही मचा दी है। इसी बात को लेकर अमेरिका डब्लूएचओ से सवाल कर रहा है और वह इसका जवाब नहीं दे रहा है। लिहाजा अब अमेरिका के साथ ही दुनिया के 62 देशों ने चीन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

पिछले दिनों डब्लूएचओ ने अपनी लिस्ट से ताइवान का नाम हटा दिया था जबकि अमेरिका को इसको लेकर आपत्ति है। डब्लूएचओ ने चीन की आपत्ति के बाद ताइवान में कोरोना वाइरस के डाटा को शामिल नहीं किया है। ताइवान ऐसा देश हैं जिसने सबसे पहले कोरोना संक्रमण पर काबू पाया था। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है है जबकि दुनिया के सभी देशों ने ताइवान को अलग देश की मान्यता दी है।

कोरोना वाइरस से दुनिया भर में तीन लाख से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। लिहाजा अब सभी देश चीन की जवाबदेही तय करने की मांग रहे हैं। जिसके बाद चीन पर शिकंजा कसने की शुरुआत हो गई है। भारत और अमेरिका समेत दुनिया के 62 देशों ने कोरोना पर एक स्‍वतंत्र जांच की मांग की है। आज इसके  लिए वर्ल्‍ड हेल्‍थ असेंबली में यूरोपियन यूनियन की ओर से एक प्रस्‍ताव लाया जा रहा है।  फिलहाल दुनिया के कई देश कोरोना फैलने में चीन की भूमिका पर शक जाहिर कर चुके हैं। लेकिन डब्लूएचओ हमेशा चीन को बचाता आया है।

जिसको लेकर उसकी भूमिका पर भी सवाल हैं।  डब्लूएचओ ने चीन में जब कोरोना फैला अपनी एडवाइजरी जारी नहीं की।  लेकिन जब हालात दुनिया में खराब हो गए तो उसने एडवाइजरी जारी की। वहीं जिस जांच की मांग दुनिया के सभी देश के रहे हैं। उसे चीन के दोस्‍त रूस का भी समर्थन मिला है। इसमें यूरोपियन यूनियन और ऑस्‍ट्रेलिया के अलावा जापान, न्‍यूजीलैंड, ब्राजील, साउथ कोरिया, यूनाइटेड किंगडम जैसे देश भी शामिल हैं।

 पिछले दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति ने डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि चीन इस महामारी के लिए जिम्‍मेदार है तो उसे भुगतना होगा। ट्रंप इसे 'वुहान वायरस' और 'चाइनीज वायरस' तक बता चुके हैं। हालांकि चीन ने सभी आरोपों को खारिज किया है।