जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार एक बार फिर कानून तोड़ने के आरोप में फंस गए हैं। इस बार कन्हैया कुमार के खिलाफ बेगूसराय में चुनाव आचार संहिता तोड़ने के मामले में एफआईआर दर्ज हुई है। सीपीआई के टिकट पर बेगूसराय लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे कन्हैया का मुकाबला भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से है। 

कन्हैया पहले ही देशद्रोह के आरोपों का सामना कर रहे हैं। उन पर साल 2016 में जेएनयू परिसर में संसद पर हुए आतंकी हमले के दोषी अफजल गुरू के सम्मान में सभा करने का आरोप है। वह तभी से भारत विरोधी नारेबाजी करने वाले ‘टुकड़े-टुकड़े’ ब्रिगेड के पोस्टर ब्वॉय बने हुए हैं। 

मंसूरचक के ब्लॉक डेवलपमेंट अधिकारी (बीडीओ) ने बेगूसराय जिले के मंसूरचक पुलिस स्टेशन में कन्हैया के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। बीडीओ ने चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की पड़ताल करने वाले फ्लाइंग स्क्वॉड के अधिकारी की हैसियत से यह कार्रवाई की है। इसमें कहा गया है कि कन्हैया कुमार ने 28 मार्च को दोपहर 2.30 बजे आलमचक गांव में एक मस्जिद के पास बिना इजाजत के जनसभा की। 

बीडीओ शत्रुघ्न रजक ने पुलिस को दी अपनी शिकायत में कहा, ‘कन्हैया कुमार ने अधिकृत अधिकारी की इजाजत लिए बिना जनसभा को संबोधित किया। यह चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है। इसलिए सीपीआई के उम्मीदवार कन्हैया कुमार के खिलाफ संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जाए और कार्रवाई की जाए।’

इस शिकायत के आधार पर कन्हैया के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। 

बिहार की बेगूसराय सीट उस समय चर्चा में आ गई जब भाजपा ने यहां से अपने भूमिहार नेता गिरिराज सिंह को मैदान में उतार दिया। गिरिराज नवादा से सांसद हैं लेकिन पार्टी ने 2019 के समर में उन्हें बेगूसराय भेजा है। नवादा सीट बंटवारे के तहत एनडीए के सहयोगी और राम विलास पासवान की एलजेपी के खाते में गई है। 

बेगूसराय भी भूमिहार बहुल सीट है। खास बात यह है कि कन्हैया कुमार भी इसी जाति से आते हैं। इससे यहां मुकाबला सीधा इन दोनों के बीच माना जा रहा है। 

पहले अटकलें थीं कि कांग्रेस और आरजेडी इस सीट पर कन्हैया कुमार का समर्थन कर सकती हैं। लेकिन जेडीयू के एक सूत्र ने बताया कि आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने इस योजना पर पानी फेर दिया। उनका कहना है कि लालू नहीं चाहते कि कन्हैया कुमार भविष्य में उनके बेटे तेजस्वी यादव के लिए किसी तरह की चुनौती अथवा खतरा बनें। एक तरह से इस समय आरजेडी की कमान तेजस्वी यादव के हाथ में ही है।  तेजस्वी अपने पिता के पारंपरिक यादव वोट बैंक के निर्विवाद नेता बनकर उभरे हैं।

राज्य में कांग्रेस और आरजेडी समेत अन्य दलों के बीच हुए महागठबंधन के तहत यह सीट आरजेडी के खाते में गई है। आरजेडी के प्रवक्ता मनोज झा स्पष्ट कह चुके हैं कि महागठबंधन कन्हैया कुमार को छोड़कर आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले सीपीआई (माले) के प्रत्याशी का समर्थन करेगा।