नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी मैदान से एकदम बाहर दिख रही है। मुख्य मुकाबला भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच में ही रह गया है। कांग्रेस कही भी मुकाबले में नहीं दिख नहीं है। कांग्रेस के नेताओं का हावभाव भी बदलने लगे हैं। कल तक अपने बलबूते दिल्ली में सरकार का दावा करने वाली कांग्रेस पार्टी फिलहाल प्रचार के मैदान में तो  बाजी हार ही चुकी है। सोनिया गांधी अस्पताल में भर्ती हैं और राहुल गांधी और प्रियंका गांधी अभी तक प्रचार में उतरे नहीं है। वहीं दिल्ली में कांग्रेस 40 स्टार प्रचारक कहीं नहीं दिख रहे हैं।

फिलहाल पार्टी के चुनाव प्रभारी पी सी चाको का दावा है कि वह विधानसभा चुनाव में चौकाने वाले परिणाम लाने जा रहे हैं। जिसे कांग्रेस के नेता ही हवा हवा बातें बता रहे हैं। कांग्रेस से स्थानीय नेताओं को लगने लगा है कि पार्टी ने मन से ही हार मान ली है। दिल्ली में कही भी प्रचार में कांग्रेस नहीं दिख रही है। ऐसा लग रहा है कि पार्टी महज खानापूर्ति के लिए चुनाव लड़ रही है। पार्टी ने चुनाव प्रचार के लिए 40 स्टार प्रचारकों की सूची चुनाव आयोग को भेजी। लेकिन ये प्रचारक दिल्ली में पार्टी के प्रत्याशियों का प्रचार करते नहीं दिख रहे हैं।

वहीं अभी तक कांग्रेस आलाकमान के नेताओं की दिल्ली में कोई बैठक नहीं हुई है। सोनिया गांधी की दिल्ली में रैली होने वाली थी। लेकिन वह अस्पताल में भर्ती हैं। जबकि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की रैली को लेकर कांग्रेस के नेताओं को कोई जानकारी नहीं है। कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि दिल्ली चुनाव में ध्रुवीकरम हो गया है और इसका फायदा भाजपा को मिलेगा। कांग्रेस राज्य की 66 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। जबकि चार सीटों पर राजद के प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन इन 66 सीटों पर कांग्रेस किसी एक सीट पर भी दावा नहीं कर सकता है।

असल में कांग्रेस को उम्मीद थी कि दिल्ली में मुस्लिम वोटर उसे वोट देगा। लेकिन ध्रुवीकरण के कारण ये वोट जीतने वाले प्रत्याशी की तरफ जाता दिख रहा है। मुस्लिम  वोटर भाजपा को हराने वाले को ही वोट देंगे। इसका दावा अब कांग्रेस के नेता करने लगे हैं। कांग्रेस के नेताओं का दावा है कि शाहीन बाग के प्रदर्शन के कारण कांग्रेस को नुकसान हुई है। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी व प्रियंका गांधी वाड्रा ने दिल्ली में चुनावी सभा से दूरी बनाकर रखी है। जिसका संदेश कार्यकर्ताओं और जनता तक गलत जा रहा है।

इसकी तुलना में भाजपा और आप का आक्रामक प्रचार है। अब महज तीन दिन ही बचे हैं। शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस ने दिल्ली की सत्ता पर 15 साल तक राज्य किया। लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली। हालांकि कांग्रेस के लिए राहत ये है कि विधानसभा में इसे दस फीसदी वोट मिले थे वहीं 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में उसे 22.46 फीसदी वोट मिले और वह दूसरे स्थान पर रही थी। जबकि दिल्ली की सत्ताधारी आप तीसरे स्थान पर थी।