चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वर्धा रैली में दिए भाषण को लेकर क्लीनचिट दे दी है। कांग्रेस का आरोप था कि पीएम मोदी ने वायनाड सीट से चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की आलोचना की थी। उन्होंने ‘संकेत’दिया था कि केरल के इस संसदीय क्षेत्र में अल्पसंख्यक समुदाय के मतदाताओं की संख्या अधिक है, इसीलिए राहुल गांधी वहां से चुनाव लड़ रहे हैं। 

चुनाव आयोग ने इस मामले की जांच की और पाया कि पीएम मोदी के भाषण में ऐसा कुछ नहीं था जिससे चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन होता है। चुनाव आयोग के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘मामले की आदर्श आचार संहिता के मौजूदा दिशानिर्देशों अथवा प्रावधानों, जनप्रतिनिधि कानून के तहत और महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की रिपोर्ट के अनुरूप विस्तृत जांच पड़ताल की गई। आयोग का यह विचार है कि इस मामले में ऐसा कोई उल्लंघन नहीं दिखा है।’  

कांग्रेस ने इस महीने के शुरू में चुनाव आयोग से संपर्क किया था और पीएम मोदी के कथित ‘विभाजनकारी’ भाषण के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। 

पीएम मोदी ने गत एक अप्रैल को वर्धा में एक रैली को संबोधित करते हुए कथित रूप से कहा था कि विपक्षी दल लोकसभा की उन सीटों से अपने नेताओं को खड़ा करने से ‘डरता’ है, जहां बहुसंख्यकों का प्रभुत्व है। पीएम मोदी ने यह टिप्पणी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के केरल के वायनाड से दूसरी सीट के तौर पर चुनाव लड़ने के निर्णय की ओर इशारा करते हुए की थी। राहुल गांधी उत्तर प्रदेश के अमेठी से भी चुनाव लड़ रहे हैं।

मोदी ने कथित रूप से कहा था, ‘कांग्रेस ने हिंदुओं का अपमान किया और देश के लोगों ने पार्टी को चुनाव में दंडित करने का फैसला किया है। उस पार्टी के नेता अब उन लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ने से डर रहे हैं जहां बहुसंख्यक (हिंदू) जनसंख्या का प्रभुत्व है। इसी कारण से वे ऐसे स्थानों पर शरण लेने के लिए बाध्य हैं जहां बहुसंख्यक अल्पसंख्यक हैं।’ 

कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि मोदी की गांधी के खिलाफ टिप्पणी नफरत पैदा करने वाली और विभाजनकारी है। कांग्रेस नेता अहमद पटेल, जयराम रमेश, अभिषेक मनुसिंघवी और रणदीप सुरजेवाला का प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग पहुंचा था और करीब पांच मामलों का हवाला देते हुए पीएम पर कथित ‘विभाजनकारी’ भाषण देने का  आरोप लगाया था। (इनपुट पीटीआई)