नई दिल्ली।  टर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन अब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिन का अनुसरण कर रहे हैं। लिहाजा वह अब देश के आजीवन  राष्ट्रपति रहने की कोशिशों  में जुटे हुए हैं। वहीं तुर्की भी चीन की तरह अपने नागरिकों पर चौबीस घंटे निगरानी रखने की योजना बना रहा है। इसके साथ ही एर्दोगन अपने विरोधियों और मजहबी नेता गुलेन के समर्थकों के सफाये की तैयारी में हैं।

बताया जा रहा है कि पाकिस्तान और चीन के बीच दोस्ती के बीच अब टर्की भी इस गुट में शामिल हो गया है और वहीं टर्की के राष्ट्रपति चीन के राष्ट्रपति की राह पर हैं। क्योंकि एर्दोगन अब देश के आजीवन राष्ट्रपति रहने की साजिश कर रहे हैं। इसके लिए वह अपने विरोधियों का सफाया करने में जुटे हैं। वहीं चीन की तरह तुर्की टर्की भी अपने देश के नागरिकों पर चौबीस घंटे निगरानी रखने की योजना बना रहा है। हालांकि ये काम चीन काफी सालों से करता आया है। एर्दोगनअपने विरोधियों और मजहबी नेता गुलेन के समर्थकों के सफाये की साजिश कर रहे हैं। राष्ट्रपति एर्दोगन और उनकी पार्टी धीरे- धीरे तुर्की में तानाशाही और दुनिया में इस्लामिक मुल्कों का नेता बनने की दिशा में काम कर रहा है। इसके लिए एर्दोगन कई तरह के कदम उठा चुके हैं।

एर्दोगन मुस्लिम देशों में सऊदी अरब को किनारे करना चाहती है और अपना दबदबा बढ़ाना चाहती है। ताकि इस्लामी दुनिया में भी उसकी हैसियत बढ़ती जाए।  बताया जा रहा है कि एर्दोगन सरकारी एजेंसियों को आदेश दिया है कि वे सेना, पुलिस समेत सभी सरकारी संस्थाओं के जरिए गुलेन समर्थकों का पता लगाए और उनके खिलाफ कार्यवाही करे। बताया जा रहा है कि तुर्की में अब तक 66 तुर्की सैनिक पकड़े जा चुके हैं और इन सैनिकों को गुलेन समर्थक बताया जा रहा है।  वहीं इसमें 18 सैनिक भी शामिल हैं, जो जुलाई 2016 के कथित सैनिक विद्रोह में शामिल हुए थे। बताया जा रहा है कि एर्दोगन के आदेश के बाद राजधानी अंकारा से करीब 12 कॉलेज टीचर्स को भी गिरफ्तार किया है ये लोग गुलेन की विचारधारा का प्रचार कर रहे थे।