नई दिल्ली। महाराष्ट्र की एक महीने पुरानी शिवसेना सरकार में अब कर्नाटक में हुई बगावत की आहट सुनाई देने लगी है। शिवसेना की अगुवाई वाले तीन दलों की सरकार के विधायक मंत्री नहीं बनाए जाने से बगावत कर सकते हैं। शिवसेना से लेकर एनसीपी के विधायक कैबिनेट में जगह नहीं मिलने से पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं। जबकि शिवसेना विधायकों ने तो कैबिनेट विस्तार से दूरी बनाकर रखी वहीं शिवसेना सांसद संजय राउत पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं। जबकि एनसीपी विधायक ने तो इस्तीफा का फैसला लिया है।

असल में राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार के कैबिनेट विस्तार के बाद कई विधायक नाराज चल रहे हैं। शिवसेना से लेकर एनसीपी के विधायक नाराज बताए जा रहे हैं। वहीं कांग्रेस के विधायकों ने आलाकमान को अपना विरोध जता दिया है। वहीं शिवसेना में आदित्य ठाकरे को मंत्री बनाए जाने स आधा दर्जन से ज्यादा विधायक नाराज हैं और इन्होंने कैबिनेट विस्तार के समारोह में शामिल न होकर अपना विरोध जता दिया है। वहीं शिवसेना की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले संजय राउत भी नाराज बताए जा रहे हैं।

संजय अपने भाई को ठाकरे कैबिनेट में मंत्री बनना चाहते थे, लेकिन मुख्यमंत्री ने आदित्य ठाकरे को कैबिनेट में शामिल किया। यही नहीं संजय राउत में समारोह से गायब रहे। गौरतलब है कि महाविकास आघाड़ी सरकार के पहले कैबिनेट विस्तार में कांग्रेस के 10, शिवसेना से 12 और एनसीपी से 14 मंत्रियों ने शपथ ली थी। वहीं शिवसेना विधायक प्रकाश आबिटकर भी नाराज बताए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि पार्टी की तरफ से उन्हें मंत्री बनाने की बात कही गई थी और मंत्रियों की सूची में उनका नाम था, लेकिन ऐन वक्त पर उनका नाम काट दिया गया। वहीं शिवसेना के वरिष्ठ विधायक प्रताप सारनिक, सुनील प्रभु, रवींद्र वायकर, रामदास कदम और भास्कर जाधव भी मंत्री न बनाए जाने से नाराज हैं और उन्हें शपथग्रहण समारोह से दूरी बनाकर रखी।

वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बीड़ जिले के माडलगाव से लगातार चार बार विधायक रहे प्रकाश सोलंके के इस्तीफा देने की चर्चा है।  जबकि राज्य सरकार में सहयोगी छोटे दलों ने भी सरकार में जगह नहीं मिलने पर नाराजगी जताई है। वहीं कैबिनेट विस्तार को लेकर कांग्रेस में भी नाराजगी कम नहीं है। कांग्रेस के कई विधायकों ने केन्द्रीय नेतृत्व से नाराजगी जताई। वहीं पार्टी के विधायक पृथ्वीराज चव्हाण, प्रणीति शिंदे, नसीम खान, संग्राम थोपटे, अमीन पटेल और रोहिदास पाटिल ने मल्लिकार्जुन खरगे से मिलकर खुद को नजरअंदाज किए जाने की शिकायत की।

फिलहाल नाराज विधायक सोनिया  गांधी से मिलने की योजना बना रहे हैं। वहीं इन विधायकों का आरोप है कि खरगे ने कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी को गुमराह कर पार्टी के वफादार विधायकों की जगह मौकापरस्त नेताओं को मंत्री बनाया। महाराष्ट्र में विधायकों की 288 संख्या के आधार पर महज 43 मंत्री ही हो सकते हैं और पहले कैबिनेट विस्तार में सभी पद भर दिए गए हैं। लिहाजा नाराज विधायकों को अभी मौक मिलना मुश्किल है।