सहायक परंपरा को लेकर मिल रही शिकायतों के बाद सेना ने पूर्व अधिकारियों के घरों में काम करने वाले 2,000 सहायकों को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी और  उसके आसपास के इलाकों में रहने वाले सेना के कई पूर्व अधिकारियों ने सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत से सेना के श्रमबल का दुरुपयोग किए जाने की शिकायत की थी। सेना प्रमुख को बताया गया कि जवानों के अनधिकृत तीरके से सहायक के काम में लगाया गया है। उनसे निजी काम कराए जा रहे हैं। 

सेना के वरिष्ठ सूत्रों ने 'माय नेशन' को बताया, 'सेना प्रमुख के संज्ञान में मामला लाए जाने के बाद इसकी जांच की गई। इसमें पाया गया कि करीब 1,000 जवान (सेना की एक बटालियन के बराबर) राष्ट्रीय राजधानी से सटे नोएडा, गुड़गांव और ग्रेटर नोएडा में पूर्व सैन्य अधिकारियों के घरों पर सहायक के तौर पर काम कर रहे हैं। इतने ही लोग देश के दूसरे हिस्सों में भी पूर्व अधिकारियों के यहां बतौर सहायक तैनात हैं।'

उन्होंने कहा, अब सहायकों को पूर्व अधिकारियों के घरों से हटाया जा रहा है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि किसी को भी उनका दुरुपयोग न करने दिया जाए। औपनिवेशिक काल से सेना के जवानों को ऑर्डरली या सहायक के तौर पर इस्तेमाल करने की परंपरा चली आ रही है। उन्हें अधिकारी और जूनियर कमीशंड ऑफिसर्स की यूनिफॉर्म का रखरखाव का काम करना होता है। हालांकि, समय-समय पर इन सहायकों के दुरुपयोग की शिकायतें भी मिलती रही हैं। 

सेना के कई वरिष्ठ पूर्व अधिकारी अपनी यूनिट अथवा रेजीमेंट से सहायक लेते हैं। ये मूलतः सक्रिय सैनिक अथवा लड़ाई में जाने वाले सैनिक होते हैं। आरोप है कि इन सहायकों से निजी काम कराया जाता है। 

सेना में सेवारत और पूर्व अधिकारियों के घर पर सहायक का काम करने वाले जवानों को शांत इलाकों में रहने का मौका मिलता है। इस दौरान उन्हें शांत एवं फील्ड लोकेशन में तैनात अपने दूसरे साथियों की तरह रोजाना का शारीरिक प्रशिक्षण और कठिन ड्रिल भी नहीं करनी पड़ती। 

इस संबंध में सहायकों के तौर पर तैनात कई जवानों की ओर से शिकायतें के सामने आने के बाद रक्षा मंत्रालय 10,000 असैनिक भर्तियां करने पर विचार कर रहा है। उन्हें शांत इलाकों में रहने वाले सेवारत अधिकारियों के सहायक के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा। वहीं अभी तक सहायक का काम कर रहे जवान फील्ड लोकेशन में सहायक की भूमिका निभाएंगे। यहां उनसे अधिकारियों और जेसीओ के रोजमर्रा के आधिकारिक काम में मदद ली जाएगी। (नई दिल्ली से अजीत दुबे की रिपोर्ट)