राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने झारखंड के खूंटी में पांच युवतियों से गैंगरेप के मामले में भारत में कैथोलिक चर्च की शीर्ष संस्थाओं में से एक 'द कैथोलिक बिशप कांफ्रेंस ऑफ इंडिया' यानी सीबीसीआई के दो शीर्ष पदाधिकारियों की भूमिका की जांच करने के आदेश दिए हैं। संघ ने इन पर मामले को 'दबाने' का आरोप लगाया है। 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की आनुषांगिक इकाई लीगल राइट्स ऑब्जर्वेटरी (एलआरओ) की ओर से एनएचआरसी में शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद ये आदेश दिए गए। संघ के पूर्व प्रचारक और एलआरओ के प्रमुख विनय जोशी ने सीबीसीआई के महासचिव बिशप थियोडोर मैस्करेनहास पर फादर अल्फांसो आइंड का 'बचाव' करने का आरोप लगाया है। इस गैंगरेप मामले में अल्फांसो भी एक आरोपी हैं। फादर अल्फांसो उस क्रिश्चियन मिशनरी स्कूल के प्रमुख हैं, जहां से पांचों पीड़िताओं का प्रतिबंधित नक्सली संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआई) के सदस्यों ने अपहरण किया और बाद में बंदूक की नोक पर उनके साथ गैंगरेप किया। 

जोशी ने कहा कि अगर झारखंड सरकार एनएचआरसी के जांच के नतीजों का संज्ञान नहीं लेती हो तो वह उसके खिलाफ कोर्ट जाएंगे। उन्होंने कहा, 'यह महिलाओं से जुड़ा एक संवेदनशील मामला है। इसे राज्य सरकार के अधिकारियों को ध्यानपूर्वक देखना चाहिए।' 

जोशी ने 'माय नेशन' से कहा, इस मामले में चर्च की कथित सहभागिता को दबाने के दूसरे आरोपी कार्डिनल टेलेफोर टोप्पो हैं। मैस्करेनहास और टोप्पो ने फादर अल्फांसो आइंड की गिरफ्तारी के बाद एक प्रेस कांफ्रेंस कर उन्हें बेकसूर बताते हुए झारखंड पुलिस पर हमला बोला था। उन्होंने न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही आरोपी कैथोलिक पादरी को क्लीनचिट देने का प्रयास किया।

सीबीसीआई ने यह कहते हुए मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि उन्हें एनएचआरसी की जांच के आदेश के बारे में कोई जानकारी नहीं है। सीबीसीआई ने 'माय नेशन' से दोबारा बात करने की बात कही थी, लेकिन उनसे फिर संपर्क नहीं हो पाया।

अपनी शिकायत में जोशी ने दोनों पर जांच अधिकारियों पर दबाव बनाने की कोशिश करने का आरोप लगाया। जोशी ने कहा, दोनों ने प्रेस कांफ्रेंस के जरिए अप्रत्यक्ष तौर पर पीड़िताओं को डराया और जांच में हस्तक्षेप करने की कोशिश की। 

एनएचआरसी की वेबसाइट के अनुसार, आयोग की ओर से इस शिकायत के संबंध में उचित आदेश दे दिए गए हैं। शिकायत संबंधित अधिकारियों को भेजी गई है। उनसे चार सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा गया है। इस संबंध में उठाए गए कदमों की रिपोर्ट मांगी गई है। हालांकि जांच को लेकर संबंधित अधिकारियों की प्रतिक्रिया का इंतजार है। 

एक एनजीओ के लिए नुक्कड़ नाटक करने वाली पांच युवतियों का कोचंग स्थित एक क्रिश्चियन मिशनरी स्कूल से बंदूक की नोक पर अपहरण कर लिया गया। इन सभी के साथ कथित तौर पर गैंगरेप किया गया। ये सभी युवतियां 19 जून को मानव तस्करी और पलायन के खिलाफ जागरुकता अभियान के तहत इस इलाके में पहुंची थीं। 

इससे पहले, राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने भी आरसी मिशन स्कूल के प्रमुख फादर आइंड की संदिग्ध भूमिका का संज्ञान लिया था। पुलिस ने यह पुष्टि हो जाने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया कि युवतियों का प्रतिबंधित नक्सली संगठन पीएलएफआई के सदस्यों द्वारा अपहरण कर लिए जाने के बावजूद उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को नहीं दी। यह एक बड़ी चूक थी। उन्होंने अपराध को बढ़ावा देने और इसमें मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। आइंड ने कोचंग बाजार में मुलाकात के बाद एनजीओ की इन युवतियों को अपने स्कूल में एक कार्यक्रम करने के लिए आमंत्रित किया था। 

पुलिस ने इस मामले में पथालगढ़ी आंदोलन से जुड़े लोगों की भूमिका की भी पुष्टि की है। आरोप है कि इन लोगों ने कथित तौर पर नक्सलियों से युवतियों के समूह को सबक सिखाने को कहा था। उन्होंने युवतियों के पुलिस की मुखबिर होने की बात कही थी। पथालगढ़ी आंदोलन में आदिवासी किसी एक जगह पत्थर रखकर उसे अपना 'संप्रभु' राजनीतिक इलाका घोषित कर देते हैं। 

जोशी ने एनएचआरसी से सीबीसीआी की प्रेस कांफ्रेंस का तुरंत संज्ञान लेने और मैस्करेनहास और टोप्पो को 'पांचों पीड़िताओं को प्रत्यक्ष तौर पर डराने' के लिए समन भेजने का अनुरोध किया है।