फतेहपुर। वाराणसी के दुलाहीपुर निवासी शिव प्रसाद उर्फ गुड्डू अपनी पत्नी कविता देवी के साथ तकरीबन 30 साल पहले यूपी के ही फतेहपुर जनपद अंतर्गत हथगाव थाना क्षेत्र के पूरे अधारी गांव में रोजगार के सिलसिले में आया था। शिव प्रसाद उर्फ गुड्डू का कहना है कि वह एक मुस्लिम परिवार के यहां किराए पर कमरा लेकर अपनी पत्नी के साथ रहता था। उसे परिवार के संपर्क में आने के करीब पांच साल बाद ही उसने पत्नी के साथ इस्लाम धर्म अपना लिया था। शिव प्रसाद के अनुसार वह जिस परिवार के यहां किराए पर रहता था वह लोग लगातार उन्हें इस्लाम के बारे में बताते थे। जिससे उनके मनः स्थिति बदल गई और उन्होंने अपनी पत्नी के साथ इस्लाम धर्म कबूल कर लिया।

30 साल पहले रोजगार के सिलसिले में वाराणसी से आया था दंपत्ति
फतेहपुर के हथगाव थाना अंतर्गत कस्बे की अधारी गांव में शिव प्रसाद ने अपना निजी मकान बनवा लिया था। अपने घर में शिफ्ट होने के बाद शिव प्रसाद और उनकी पत्नी कविता का अपने मूल धर्म सनातन के प्रति आस्था जागी तो उन्होंने करीब 20 दिन पहले क्षेत्र के हिंदू संगठन के लोगों से संपर्क किया। जिसमें राम दल के अध्यक्ष आगेंद्र साहू ने उन्हें घर वापसी और समुचित सुरक्षा का आश्वासन दिया। उसके बाद इलाके पुलिस को सूचना दी गई। इलाकाई पुलिस की मौजूदगी में 20 फरवरी को अब्दुल्ला और फातिमा बेगम ने इस्लाम धर्म छोड़कर सनातन धर्म अपना लिया। जिसके बाद अब्दुल्ला फिर से शिव प्रसाद उर्फ गुड्डू और फातिमा बेगम कविता बन गई। इसके लिए शुद्धि यज्ञ कराया गया। राम दल के कार्यकर्ताओं ने शिव प्रसाद के घर पर सुंदरकांड का पाठ किया।

वापस अपने धर्म में लौटने पर दंपत्ति ने जताई खुशी
घर वापसी के पास शिव प्रसाद का कहना है कि वह अपने मूल धर्म में वापस आकर बहुत खुश है। इस्लाम धर्म अपनाने के पीछे कोई ठोस वजह न बताने वाले शिव प्रसाद और उनकी पत्नी कविता का कहना है कि वह जन्म से सनातनी थे और अब फिर सनातनी हो गए हैं। बीच में जो भटकाव हुआ था वो अब दुरुस्त हो गया है। माथे पर लाल टीका और हाथों में चूड़ी मांग में सिंदूर पहनकर कविता जहां खुशी से फूल ही नहीं समा रही वही शिव प्रसाद भी अपने मूल धर्म में लौटकर प्रफुल्लित है।

रामदल अध्यक्ष ने कहा 20 दिन पहले शिव प्रसाद ने घर वापसी की जताई थी इच्छा
राम दल के अध्यक्ष आगेंद्र साहू का कहना है कि हिंदू समाज का एक दंपति 20-25 साल पहले किन्हीं कारणों से मुस्लिम धर्म अपना लिया था, जो अब अपने घर वापसी की है। हमने उनको सुरक्षा दी है। पूरी मदद कर रहे हैं। पुलिस भी सहयोग कर रही है। हमने सुंदरकांड के पाठ के बाद भंडारे का आयोजन किया और उनके घर वापसी पर खुशी जताई।

 

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