लखनऊ। आखिरकार तीन साल की लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार राजेश पाण्डेय अब सोनिया बन गया है और सरकारी दस्तावेजों में अब वह सोनिया के नाम से ही जाना जाएगा। इसके लिए उसने एक लंबी लड़ाई लड़ी और सरकार ने भी उसे राजेश पांडे की जगह पर अब सोनिया मान लिया है। रेलवे के रिकॉर्ड में राजेश पांडे पुरूष की जगह सोनिया महिला हो गया है। रेलवे के कार्मिक विभाग ने आदेश दिया है कि राजेश पांडे को सोनिया के तौर पर जाना जाए और उसका नाम महिला के तौर पर शामिल किया जाए। हालांकि इस बारे में अंतिम फैसला रेलवे बोर्ड लेगा।

असल में ये कहानी काफी लंबी है। लेकिन इसे राजेश पांडे या सोनिया की मेहनत का ही नतीजा है कि वह लगातार अपने अधिकार के लिए पिछले तीन साल से लड़ रही थी। हालांकि पुरूष के तौर पर जन्म लेने वाले राजेश पांडे को जब ये अहसास हुआ है कि उसके अंदर महिलाओं के गुण हैं तो उसने इसके लिए अपना लिंग परिवर्तन कराया। लेकिन न तो समाज ने माना लेकिन न ही सरकार। लिहाजा उसने एक लंबी लड़ाई लड़ी और अब इसे इसके लिए सफलता मिली है।

फिलहाल अब मुख्य कारखाना प्रबंधक इज्जतनगर ने कार्मिक विभाग को पत्र लिखकर कहा है कि रेलवे बोर्ड का अंतिम आदेश आने तक राजेश पाण्डेय को महिला माना जाए। इज्जतनगर के मुख्य कारखाना प्रबंधक कार्यालय में कार्यरत तकनीकी ग्रेड-एक के पद पर तैनात राजेश पाण्डेय को महिला के तौर पर पहचान मिली है। राजेश पांडे अब सोनिया को पिता की मृत्य के बाद के मृतक आश्रित कोटे के तहत नौकरी मिली।

लेकिन उसे हमेशा ये अहसास होता रहा कि वह स्त्री है। हालांकि राजेश पांडे की शादी भी हुई, लेकिन दो साल के बाद उसका तलाक हो गया। क्योंकि उसके पत्नी के साथ छह महीनों तक संबंध नहीं बने। राजेश के घर में बहन और मां थी। इसके बाद उसने सभी लोगों को समझाया और अपना लिंग परिवर्तन कराया। सोनिया ने तलाक लेने के बाद सेक्सोलॉजिस्ट की  मदद से अपने लिंग को परिवर्तित कराया।