नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनावों के परिणाम आज घोषित होने जा रहे हैं और सभी राजनैतिक दलों की नजर इन चुनाव परिणाम पर लगी है। हालांकि दिल्ली  में मुकाबला मुख्यतौर से भाजपा और सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के बीच ही रहा। लेकिन कई दलों की नजर इस बात पर लगी है कि दिल्ली की राजनीति की दिशा किस तरह जाएगी। क्या राज्यों में लगातार हार रही भाजपा इसे जारी रखेगी या फिर इसमें ब्रेक लगेगा। या फिर दिल्ली की सत्ता पर आप हैट्रिक मारेगी। वहीं कुछ राजनैतिक दल भाजपा की हार में ही अपनी जीत देख रहे हैं।

दिल्ली चुनाव परिणामों को नागरिकता कानून से भी जोड़ा जा रहा है। क्योंकि इस कानून को लागू करने के बाद भाजपा झारखंड में चुनाव हार चुकी है। वहीं लोगों का कहना है कि नागरिकता कानून का असर भाजपा को दिल्ली में भी देखने को मिलेगा। वहीं सियासी पंडितों का कहना है कि दिल्ली में भाजपा को मजबूत करेगी।

भाजपा ने दिल्ली में 1993 में सरकार बनाई थी और हाल ही में वह झारखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव हार चुकी है। भाजपा लगातार राज्यों में हार रही है। हालांकि हरियाणा और कर्नाटक छोड़  दिया तो पिछले दो साल के दौरान भाजपा  राज्यों का चुनाव हारी है। माना जा रहा कि दोपहर तक दिल्ली की तस्वीर साफ हो जाएगी और ये तय हो जाएगा कि भाजपा सरकार बनाएगी या फिर आप हैट्रिक मारेगी। हालांकि माना जा रहा है कि फलौदी का सट्टा पर भी इसबार गलत साबित होगा।

हालांकि, एग्जिट पोल की मानें तो आप दिल्ली में सरकार बनाएगी और ज्यादातर पोलस्टर्स ने उसे 50 से ज्यादा सीटें दी हैं। जबकि उनका कहना है कि भाजपा की स्थिति में सुधार होगा और एक बार फिर दूसरे स्थान पर रहेगी। कुछ एग्जिट पोल ने कांग्रेस को 0-2 सीटें दे रहे हैं। गौरतलब है कि 2015 के चुनाव में आप ने दिल्ली की 70सीटों में से 67 में जीत दर्ज की थी जबकि भाजपा ने 2015 में 32 फीसदी वोट हासिल किए लेकिन उसे महज तीन सीटें मिली थी।

वहीं लोकसभा चुनाव में भाजपा को 56 फीसदी वोट मिला था और वह दिल्ली की आठों लोकसभा सीट जीतने में कामयाब रही। भाजपा ने चुनावों को शाहीन बाग के आसपास केंद्रित किया, जहां नए नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहा है। ये प्रदर्शन दो महीने से चल रहा है। जबकि आप ने अपने विकास को चुनाव में प्रचारित किया।