लखनऊ। यूपी के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह (Sulkhan Singh) ने राजनीतिक पारी शुरु की है। बुंदेलखंड लोकतांत्रिक पार्टी (Bundelkhand Loktantrik Party) का गठन कर बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाने की आवाज उठाई है। उनकी एमपी और यूपी के 15 जिलों को मिलाकर बुंदेलखंड राज्य बनाने की मांग है। बीजेपी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा है कि सत्ताधारी दल नहीं चाहते हैं कि बुंदेलखंड राज्य बने।

कौन हैं सुलखान सिंह? 

यूपी के ही बांदा जिले के रहने वाले सुलखान सिंह का जन्म 8 सितंबर 1957 को हुआ था। उनकी शुरुआती एजूकेशन बजरंग इंटर कॉलेज से हुई। आईआईटी रुड़की से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री ली। लॉ भी किया है। वह यूपी कैडर के 1980 बैच के आईपीएस अफसर रहे हैं।

बुंदेलखंड के विकास के लिए राजनीति में उतरने का फैसला

यूपी के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह बुंदेलखंड के विकास की आवाज उठा रहे हैं। वह कहते हैं कि आज भी रोजगार के अवसर उपलब्ध नही हैं। समय से सिंचाई न होने की वजह से किसानों की फसलें प्रभावित हो रही हैं। सत्ता बदली तो बुंदेलखंड में चल रहे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चले गए। इसी वजह से उन्होंने क्षेत्र के विकास के लिए सक्रिय राजनीति में उतरने का फैसला किया है।   

सरकारों की प्रॉयरिटी में नहीं रहा बुंदेलखंड

पूर्व डीजीपी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि बुंदेलखंड सरकारों की प्रॉयरिटी में नहीं रहा। आजादी के 75 साल बाद भी विकास से वंचित है। यहां के लोग पंजाब और हरियाणा राज्यों के किसानों की तरह बड़ा आंदोलन नहीं कर सकते। इसकी सबसे बड़ी वजह गरीबी है। बुंदेलखंड लोकतांत्रिक पार्टी लोकसभा चुनाव में भी प्रत्याशी उतारेगी।

इन जिलों को बुंदेलखंड राज्य में शामिल कराने को प्रयासरत

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के 7 (बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, महोबा, जालौन, झांसी और ललितपुर) और एमपी के 8 जिले (दमोह, पन्ना, छतरपुर, दतिया, सागर, टीकमगढ़, निवाड़ी और अशोकनगर) बुंदेलखंड क्षेत्र में शामिल कराने की कोशिश कर रहे हैं। इसी मांग के साथ आने वाले चुनाव में प्रत्याशी भी उतारेंगे।

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