प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाजपा लोगों को हैरान करने से नहीं चूकते है। पार्टी ने कभी पीएम नरेंद्र मोदी के विरोधी रहे गुजरात के नेता गोरधन जदाफिया को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए यूपी की जिम्मेदारी संभालने वाले लोगों की टीम में शामिल किया है। ताकि लोकसभा चुनाव 2014 के आंकड़ों की कमी की आशंकाओं को दरकिनार कर बेहतर प्रदर्शन किया जा सके। राज्य में भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में 80 में से 73 सीटों पर विजय हासिल की थी। बुधवार को पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए 17 राज्यों और चंडीगढ़ के प्रभारियों का ऐलान किया।

जब गुजरात में नरेंद्र मोदी ने राज्य में मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली थी तो गोरधन जदाफिया को मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था। उसके बाद गोरधन जदाफिया ने भाजपा के खिलाफ बगावती तेवर अपनाए और 2007 के विधानसभा चुनाव के दौरान महागुजरात जनता पार्टी के नाम से अलग राजनैतिक दल बना लिया। 

कौन हैं जदाफिया

गोरधन जदाफिया विश्व हिंदू परिषद के पूर्व प्रमुख और मोदी के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले प्रवीण तोगड़िया के करीबी रहे हैं। राज्य में मोदी विरोध के बाद तोगड़िया को किनारे कर दिया गया। जदाफिया को कट्टर हिंदुत्व का चेहरा माना जाता है। जदाफिया ने गुजरात में मंत्री बनने से पहले विहिप के कार्यकर्ता के तौर पर करीब आधा दशक काम किया। वह अलग थलग पड़ चुके प्रवीण तोगड़िया के करीबी थे। मोदी के विरोध के कारण उन्हें 2002 के चुनाव के बाद राज्य मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था। उन्होंने भाजपा के खिलाफ बगावत का झंडा उठाते हुए 2007 के चुनाव में अपनी खुद की पार्टी महागुजरात जनता पार्टी का गठन किया। बाद में उन्होंने अपनी पार्टी का गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल की पार्टी में विलय कर दिया। राज्य के 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में तोगड़िया और पार्टी ने भाजपा के खिलाफ प्रचार किया, लेकिन सभी प्रयास करने के बाद भी जदाफिया और उनकी टीम चुनाव हार गई। इसके बाद 24 फरवरी 2014 को उन्होंने फिर से भाजपा की सदस्यता ली और अपनी दूसरी पारी की शुरूआत की।

कुछ प्रमुख जानकारी

1-राजस्थान में सत्ता से बाहर हो चुकी भाजपा ने वसुंधरा राजे और पार्टी के बीच किसी भी तरह का गतिरोध रोकने के लिए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर पर विश्वास जताते हुए उन्हें राज्य का प्रभारी नियुक्त किया है जबकि उनके सहयोगी के तौर पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह के करीबी सुधांशु त्रिवेदी को नियुक्त किया है।

2- भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के प्रभारी ओम माथुर को राज्य से हटाकर गुजरात का प्रभार सौंपा गया है। उत्तर प्रदेश में सरकार बनने के बाद माथुर अलग-थलग पड़ गए थे और राज्य संगठन और सरकार से नाखुश थे। खासतौर से राज्य भाजपा के संगठन मंत्री सुनील बंसल के कारण उन्होंने राज्य के संगठन में रूचि नहीं ली।

3-स्वतंत्र देव सिंह और सतीश उपाध्याय को मध्य प्रदेश का चुनाव प्रभारी बनाया गया है।

4-पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के विश्वस्त माने जाने वाले और पार्टी के महासचिव अनिल जैन को छतीसगढ़ की जिम्मेदारी दी गई है। जहां भाजपा 15 साल के अंतराल के बाद राज्य की सत्ता से बाहर हुई है।