नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में सत्ता जाने के बाद अब राजस्थान में कांग्रेस की सरकार पर खतरा मंडरा रहा है। कांग्रेस के प्रबंधक सरकार बचाने को दिल्ली से जयपुर एक किए हुए हैं और सरकार बचाने के लिए सभी तरह के हथकड़े अपनाए जा रहे हैं। लेकिन सब के बीच दस जनपथ यानी सोनिया गांधी के आवास पर की तरह की हलचल नहीं है। यही नहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी इस पूरे प्रकरण पर खामोश हैं। राहुल गांधी कोरोना को लेकर केन्द्र सरकार को घेरने में लगे हैं। लेकिन गांधी परिवार के किसी सदस्य ने इस सियासी प्रकरण में एक भी शब्द नहीं बोला है।

राजनीति के गलियारों में राहुल गांधी, ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांग्रेस के बागी नेता सचिन पायलट की दोस्ती के चर्चे आम थे। सियासत के साथ ही ये तीनों एक दूसरे के करीब माने जाते थे। लेकिन सचिन पायलट के बगावत के बाद भी राहुल गांधी ने एक भी शब्द सचिन पायलट के बारे में कहा है। हालांकि वर्तमान में कांग्रेस के भीतर सीनियर और जूनियर नेताओं की लड़ाई चल रही है और पार्टी के सीनियर नेताओं ने युवा नेताओं को किनारे किया हुआ है।

वहीं राजस्थान के प्रकरण में अभी तक राहुल-सोनिया की चुप्पी कई तरह के सवाल उठा रही है। पार्टी में कई नेताओं के नखरों को सहने वाले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी सचिन प्रकरण में खामोश है। जबकि हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के पूर्व सीएम भूपेन्द्र हुड्डा ने खुलेआम बागी रूख अपनाया था और तब सोनिया गांधी ने हुड्डा की बात मानते हुए उन्हें विधायक दल का नेता बनाते हुए चुनाव समिति की कमान सौंपी थी।

फिलहाल राजस्थान में महज चंद महीनों के बाद ही मध्य प्रदेश की तस्वीर देखी जा रही है। क्योंकि राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। मध्य प्रदेश में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस आलाकमान को आंख दिखाई थी और उनकी सोनिया गांधी से मुलाकात भी हुई थी। लेकिन बाद में जब सिंधिया ने सोनिया से मिलने का समय मांग सोनिया ने मिलने से मना कर दिया। अब कुछ ऐसे ही राजस्थान में चल रहा है।

सचिन पायलट गहलोत के खिलाफ हैं और सोनिया गांधी से मिलना चाहते हैं। लेकिन उनकी भी कांग्रेस आलाकमान से मुलाकात नहीं हो सकी है। लिहाजा अब पायलट भी सिंधिया के ही नक्शे-कदम पर चल दिए हैं। बताया जा रहा कि पायलट के पास 30 विधायकों का समर्थन है। लिहाजा अगर कांग्रेस में बगावत होती है तो राज्य में सरकार बचाना मुश्किल है।