अभी तक भारतीय हॉलीवुड फिल्मों में दो इंजन वाले चिनूक हेलीकॉप्टर को देखते रहे हैं। लेकिन अब यह हेलीकॉप्टर वायुसेना का हिस्सा बनने जा रहा है। दुनिया के सबसे बड़े मालवाहक हेलीकॉप्टर चिनूक की पहली खेप भारत पहुंच गई है। भारत को अमेरिका से 15 चिनूक हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति होनी है। पहली खेप में चार हेलीकॉप्टर रविवार को भारत पहुंच गए। यह हेलीकॉप्टर वायुसेना की मालवाहक क्षमता में अभूतपूर्व इजाफा करेगा।

पहली आपूर्ति के तहत चार चिनूक हेलीकॉप्टर रविवार को गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह पर उतरे।  शुरुआती प्रक्रिया पूरी करने के बाद इन हेलीकॉप्टरों को चंडीगढ़ ले जाया जाएगा। यहीं इनकी तैनाती होनी है। इन बहु-उद्देश्यीय हेलीकॉप्टरों से भारतीय सुरक्षा बलों को सामरिक रूप से मजबूती तो मिलेगी ही युद्ध के दौरान और मानव सहायता मिशनों में भी इन हेलीकॉप्टरों की अतुलनीय क्षमता का लाभ उठाया जा सकेगा।  

अमेरिकी कंपनी बोइंग द्वारा बनाए जाने वाले चिनूक हेलीकॉप्टर 10 टन सामग्री को एक जगह से दूसरी जगह ले जा सकते हैं। इससे वायुसेना की मालवाहक क्षमता को बढ़ाएगा। अभी तक इस काम के लिए वायुसेना एमआई-26एस का इस्तेमाल करती रही है। वायुसेना के पास चार एमआई-26 हैं। हालांकि इनमें से केवल एक ही सेवा में है। 

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चिनूक हेलीकॉप्टर की खूबियां

चिनूक: मल्टी मिशन हेलीकॉप्टर चिनूक का निर्माण अमेरिकी कंपनी बोइंग करती है। इस हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल 19 देशों में  होता है। इनमें अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, नीदरलैंड, जापान, इटली, ग्रीस, स्पेन, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त अरब अमीरात भी शामिल हैं। चिनूक हेलीकॉप्टरों को सबसे पहले सीएच-47 के नाम से वियतनाम में तैनात किया गया था। खाड़ी युद्ध के समय यह हेलीकॉप्टर अहम भूमिका में था। आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका द्वारा चलाई जा रही विश्वव्यापी मुहिम में चिनूक अमेरिकी सेना का सबसे विश्वस्त हथियार है। अमेरिका सेना में शामिल होने के बाद से 1,179 चिनूक का निर्माण किया जा चुका है। अभी तक चिनूक को चार बार उन्नत किया गया है।

भूमिकाः चिनूक हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल सैनिकों को लाने-ले जाने, तोपों एवं गोला बारूद की ढुलाई, ईंधन, पानी, अवरोधक सामग्री, आपूर्ति एवं उपकरणों की खेप को जंग के मैदान तक पहुंचाने में किया जाता है। यह आपदा राहत, खोज एवं बचाव अभियान, एयरक्रॉफ्ट की रिकवरी, दमकल, पैराशूट से जवानों को उतारने, भारी निर्माण कार्यों एवं अन्य दूसरे प्रयोगों में अहम भूमिका निभाता है। यह हेलीकॉप्टर एक बार में 9.6 टन भार उठा सकता है। 

भारत के लिए चिनूक के मायने

यह अत्याधुनिक हेलीकॉप्टर न केवल वायुसेना को अतिरिक्त शक्ति प्रदान करेगा बल्कि सैन्य अभियानों के दौरान सुरक्षा बलों की मदद में अहम भूमिका निभाएगा। यह सैनिकों को लाने-लेजाने, दुर्गम स्थानों तक तोपों एवं अन्य सैन्य साजो सामान की आपूर्ति में मददगार साबित होगा। यह पूर्वोत्तर के दुर्गम इलाकों एवं सीमा क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को पूरा करने में बॉर्डर रोड आर्गेनाइजेशन (बीआरओ) के लिए वरदान साबित हो सकता है। संकरी घाटियों में सामान पहुंचाने में आने वाली दिक्कतों के चलते कई परियोजनाएं वर्षों से अटकी पड़ी हैं। अब इनमें तेजी आने की संभावना है।  ये हेलीकॉप्टर पहाड़ी इलाकों और ऊंचाई वाले भूभाग पर गतिविधियों के लिए मुफीद हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में ऑपरेशन के लिए इन्हें इस्तेमाल किया जा सकता है। चिनूक काफी गतिशील है। यह वायुसेना द्वारा चलाए जाने वाले आपदा राहत अभियानों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।