नए वित्तीय सत्र से नौकरी करने वालों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। नए साल से नौकरी छोड़ने वालों को बड़ी राहत मिलेगी। एक अप्रैल से नौकरी बदलने वालों का पीएफ एकाउंट खुद ही ट्रांसफर हो जाएगा। जहां पर अपनी सेवा प्रदाता कंपनी को महज पीएफ एकाउंट देने पर पर वह ट्रांसफर हो जाएगा। इसके लिए आपको किसी के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। 

ईपीएफओ की इस सेवा का फायदा कर्मचारियों को आगामी वित्तीय सत्र से मिलने शुरू हो जाएंगे। इस नए नियम के मुताबिक अगर कोई कर्मचारी नए नौकरी ज्वाइन करता है तो उसे पुराने ईपीएफ एकाउंट को बदलने की जरूरत नहीं होगी। वह अपने आप ही नई कंपनी से जुड़ जाएगा। इससे आपको नया एकाउंट खोलने की जरूरत नहीं होगी। जानकारी के मुताबिक ईपीएफओ को हर साल नए ईपीएफ एकाउंट ट्रांसफर करने के लिए करीब आठ लाख आवेदन मिलते हैं।

जिससे कागजी कार्यवाही में समय तो लगता ही है साथ ही कर्मचारियों को भी इंतजार करना होता है। लिहाजा इस छंझट से निजात दिलाने के लिए ईपीएफओ प्रायोगिक आधार पर नौकरी बदलने पर ईपीएफ के स्वत: हस्तांतरण पर काम कर रहा है। जानकारी के मुताबिक ईपीएफओ ने पेपरलेस संगठन बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी प्रक्रिया के लिए सी-डैक के साथ मिलकर काम कर रहा है। ईपीएफ में वह अपना योगदान यूएएन के जरिये हासिल कर सकेंगे।

गौरतलब है कि अभी ईपीएफओ के सदस्यों को यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) रखने के बाद भी ईपीएफ स्थानांतरण करने के लिए अलग से अनुरोध करना पड़ता है। वहीं अभी 80 प्रतिशत कार्य ऑनलाइन हो रहे हैं। नए नियम के मुताबिक नये कर्मचारी का यूएएन के साथ ही ईपीएफ योगदान और उसपर मिले ब्याज अपने आप ट्रांसफर हो जाएगा। यानी यूएएन एक बैंक खाते की तरह काम करेगा। ईपीएफ में वह अपना योगदान यूएएन के जरिये हासिल कर सकेंगे। यह कर्मचारियों के पूरे जीवन के दौरान लागू रहेगा।