शहरों में बढ़ रहे शोर के कारण पक्षियों की प्रजाति खतरे में पड़ गई है। प्रदूषण के कारण पक्षियों की उम्र सामान्य से अधिक तेजी से बढ़ने लगी है और इसका खुलासा हाल ही में हुए एक रिसर्च में हुआ है। रिसर्च में पता चला कि जब कुछ चिड़ियों की प्रजाति को गाड़ियों के शोर के बीच रखा गया तो उनकी उम्र तेजी से बढ़ने लग गई।

इसी तरह कुछ समय पहले हुई एक रिसर्च में पाया गया था कि शहरों में पाई जाने वाली चिड़ियों की उम्र उनकी ही प्रजाति की गांव में रहने वाली चिड़ियों से कम होती है।

यह रिसर्च जर्मनी स्थित मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के पक्षी विभाग व उत्तरी डकोटा स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है। जिनकी रिसर्च में पाया गया था कि गाड़ियों का शोर चिड़ियों की उम्र पर असर डालता है। यह रिसर्च ऑस्ट्रेलिया में पाई जाने वाले पक्षी जेब्रा फिंच पर की गई थी। शोधकर्ताओं ने बताया कि जब जेब्रा फिंच पक्षी को गाड़ियों के शोर के बीच रखा गया तो इस पक्षी ने मात्र 120 दिन में ही अपना घोसला छोड़ दिया।

इस शोध में शामिल डॉक्टर एड्रियाना डोराडो-कोर्रिया ने कहा कि हमारा यह शोध साफ बताता है कि शहरों में होने वाला शोर, रौशनी और केमिकल प्रदूषण के चलते जेब्रा फिंज की आयु तेजी से बढ़ने लगती है। उन्होंने बताया कि इस पक्षी के अंड़े देने के बाद 120 दिन काफी महत्वपूर्ण होते हैं।

बता दें यह चिड़िया अंड़े देने के 120 दिन बाद गाना गाती है, जिसके लिए चिड़िया को शांत वातावरण चाहिए होता है। जबकि उद्योगों या ट्रैफिक से होने वाले ध्वनि प्रदूषण से इस चिड़िया का गाने का तरीका बदल जाता है। इससे इस चिड़िया के लिए अपने नर साथी को आकर्षित करना और अपने इलाके को बचाना मुश्किल हो जाता है। वर्ष 2016 में हुए एक अध्ययन में पाया गया था कि ट्रैफिक से होने वाले ध्वनि प्रदूषण के चलते चिड़ियों के लिए अपने साथियों द्वारा दी गई खतरे की चेतावनी को समझ पाना भी मुश्किल हो जाता है।

इन कारणों से पक्षियों की प्रजाति खतरे में पड़ती जा रही है।