नई दिल्ली। आर्थिक तौर पर सुरक्षित भविष्य को लेकर कर्मचारियों को झटका लगता है। मौजूदा बाजार की स्थिति को देखते हुए ईपीएफओ मौजूदा वित्तीय वर्ष में ब्याज दरों को घटाने के पक्ष में है। लेकिन सरकार मौजूदा दरों को ही लागू करने के पक्ष में है। केंद्र सरकार चालू वित्त वर्ष के लिए ब्याज दर 8.65 फीसदी ही रखने के पक्ष में है। इसका फैसला पांच मार्च को होने वाली ईपीएफओ की बैठक में लिया जाएगा।

असल में केन्द्र बाजार की वर्तमान स्थिति को देखते हुए ईपीएफ पर ब्याज दरों को 8.65 फीसदी ही रखने के पक्ष में है। लेकिन ईपीएफओ इसे कम करना चाहता है। हालांकि ब्याज दर ज्यादा कम नहीं की जाएगी। लेकिन इसका सीधा असर कर्मचारियों पर पड़ेगा। सीबीटी ईपीएफ पर 2019-20 में ब्याज दर के प्रस्ताव पर आगामी पांच मार्च को फैसला करेगा। हालांकि इसके लिए उसे वित्त मंत्रालय की लेनी होती है। गौरतलब है कि ईपीएफओ ने अपने अंशधारकों को 2016-17 में 8.65 प्रतिशत और 2017-18 में 8.55 प्रतिशत ब्याज दर दी थी।

ईपीएफओ के देशभर में करीब छह करोड़ अंशधारक हैं। फिलहाल सबकी नजर केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की पांच मार्च को होने वाली बैठक पर नजर लगी हुई है। जिसमें ब्याज दरें की जाएगी और उसके बाद इसे अनुमति के लिए श्रम मंत्रालय को भेजा जाएगा। जानकारी के मुताबिक सीबीटी की बैठक का फिलहाल एजेंडा तय नहीं है।

लिहाजा मार्च को होने वाली बैठक पर ही सबकी नजर नहीं है। इसके बाद ही ब्याज दरें तय हो सकती है। हालांकि सीबीटी अगर ब्याज दरें कम करती है तो सरकार इस बढ़ा या घटा सकती है। वहीं जानकारों का कहना है कि अभी आय का आकलन करना मुश्किल है। जब आय  तय होगी उसी आधार पर ब्याज दर तय होंगी। वहीं ये भी कहा जा रहा है कि वित्त ईपीएफ इस बात का दबाब बना रहा है कि ईपीएफओ ब्याज दरों को अन्य लघु बचत योजनाओं के बराबर की करे।