बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखना मुश्किल होता जाता है। यही कारण है कि धीरे-धीरे जोड़ों का दर्द असहनीय होता जाता है। इसकी वजह से इंसान पूरी तरह से अपंग की जिंदगी जीने पर मजबूर होने लगता है। वो चाहकर भी एक कदम नहीं चल पाता है और दूसरों पर निर्भर होने लगता है। लेकिन आयुर्वेद के पास इसका हल है और वो है गंधतैलं।

इसका प्रमुख घटक है तिल का तेल। तिल से इस औषधी को बनाने में लगभग 23 दिन लग जाते हैं। गंधतैलं को अक्सर जन्म जात अथवा बढ़ती उम्र के कारण होने वाले हड्डी के रोगों व अन्य बीमारियों के लिए सुझाया जाता है। गंधतैलं को शरीर पर बाहरी प्रयोग तथा खाने के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। यह कैप्सूल में भी उपलब्ध है।