जयपुर। राजस्थान में सियासी संकट जारी है और आने वाले दिनों में ये संकट और गहरा सकता है। क्योंकि राज्य में सीएम अशोक गहलोत को विधानसभा में बहुमत साबित करना है और इसके लिए राज्य में 14 अगस्त से विधानसभा सत्र शुरू होने वाला है। लेकिन राज्य में सरकार के बहुमत के आंकड़े के बारे में जो खुलासा हो रहा है इसके मुताबिक राज्य की गहलोत सरकार अल्पमत में हैं। बताया जा रहा है कि राज्य की मौजूदा गहलोत सरकार के साथ सिर्फ 99 विधायक ही है। 

असल में इस बात का खुलासा तब हुआ जब दो दिन पहले जयपुर से जैसलमेर विधायकों को शिफ्ट किया गया। राज्य में सीएम अशोक गहलोत का खेमा दावा कर रहा है कि उनके पास 109 विधायकों का समर्थन है। जबकि जयपुर से सिर्फ 92 विधायक ही जैसलमेर पहुंचे हैं। वहीं चार मंत्री समेत 7 विधायक अभी भी जयपुर में ही हैं। लिहाजा इस लिहाज से राज्य सरकार के पास सिर्फ 99 विधायकों का समर्थन है। जो राज्य के सीएम अशोक गहलोत के दावे से 10 कम हैं।   

राज्य की विधानसभा में 200 विधायक है और सरकार बनाने के लिए राज्य विधानसभा में 101 विधायकों के समर्थन की जरूरत है। लेकिन वहीं अब गहलोत सरकार के पास महज 99 विधायकों का ही समर्थन है। वहीं सीपीएम के विधायक बलवान पूनिया ने हालांकि कुछ दिनों पहले राज्य सरकार को समर्थन देने का भरोसा दिलाया था, लेकिन पूनिया न जयपुर में बाड़ेबंदी में थे ना ही वह अन्य विधायकों के साथ जैसलमेर गए। वहीं अभी तक सीपीएम ने गहलोत सरकार को समर्थन देने के लिए किसी भी तरह की ऐलान नहीं किया है। राज्य में सीपीएम के दो विधायक हैं। लिहाजा गहलोत सरकार के पास 99 विधायकों का ही समर्थन रहेगा और सरकार पर संकट बरकरार है। 

वहीं राज्य में गहलोत कैबिनेट के मंत्री मास्टर भंवरलाल गंभीर तौर पर बीमार है और वह किसी भी स्थिति में विधानसभा में मतदान नहीं कर सकते हैं। वहीं विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी सिर्फ पक्ष-विपक्ष की समान मत संख्या पर ही मतदान कर सकते हैं और इस आधार पर ही गहलोत के पास 99 मत ही रहते हैं। फिलहाल राज्य में अशोक गहलोत सरकार पर खतरा मंडराया हुआ है और अगर गहलोत 100 विधायक जुटा लें। तभी भी उन्हें सीपीएम के दो में से कम से एक मत की जरूरत होगी। 

बसपा बिगाड़ सकती है खेल

असल में बहुजन समाज पार्टी ने अपने छह विधायकों के कांग्रेस में विलय को लेकर हाईकोर्ट में अपील की है वहीं भाजपा ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की है और इस मामले में 11 अगस्त को कोर्ट में सुनवाई होनी है। ऐसे में अगर कोर्ट का फैसला कांग्रेस के खिलाफ आता है तो राज्य में गहलोत सरकार पूरी तरह से अल्पमत में आ जाएगी।