जयपुर। राज्य में महाराण प्रताप को लेकर विवाद फिर शुरू हो गया है। राज्य में सरकारी दसवीं की किताब में महाराणा प्रताप को युद्ध कौशल में कमजोर बताया है। इसको लेकर अब राज्य में विवाद शुरू हो गया है। इसके लिए इतिहासकारों का कहना है कि राज्य सरकार साजिश के तहत महाराणा प्रताप के इतिहास को गलत तरीके से पढ़ा रही है। फिलहाल राज्य में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10वीं की किताब में महाराणा प्रताप के विषय में लेख तथ्यों को लेकर इतिहासकार, राजनेता, विभिन्न सामाजिक संगठनों और आम जनता के बीच आक्रोश और वह राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन करने की चेतावनी दे रहे हैं।

माध्यमिक शिक्षा बोर्ड  की 10वीं की पुस्तक में महाराणा प्रताप को लेकर गलत तथ्यों को पढ़ाया जा रहा है। राज्य में महाराणा प्रतपा के इतिहास की गई छेड़छाड़ को लेकर इतिहासकार, राजनेता, विभिन्न सामाजिक संगठनों नाराज हैं। इन लागों का कहना है कि जिन तथ्यों को  2017 में शामिल किया गया था। उन्हें राज्य सरकार बदल रही है और बाद में संशोधित लेख को प्रकाशित कर रही है। जबकि इसके लिए राज्य सरकार ने लेखक से भी अनुमति नहीं ली है। असल में 2017 में राज्य में भाजपा की सरकार थी और उसने राज्य के सरकारी पाठ्यक्रम में महाराणा प्रताप को लेकर कुछ तथ्यों को शामिल किया था।

क्योंकि उससे पूर्व की कांग्रेस सरकार ने तथ्यों को छेड़छाड़ कर अकबर को बढ़ाचढ़ाकर पेश किया था। इसके बाद राज्य में भाजपा की सरकार आने के बाद महाराणा प्रताप के बारे में सही तथ्यों को शामिल किया था।  राज्य सरकार के अधीन बोर्ड द्वारा तथ्यों को छेड़छाड़ को लेकर उस अध्याय के लेखक चन्द्रशेखर शर्मा खासे नाराज हैं और इस मामले में मेवाड़ के प्रतिनिधिमंडल ने सीएम अशोक गहलोत मुलाकात की और इस पर आपत्ति जताई है। फिलहाल राज्य में 10वीं की ई-बुक जो बच्चों को पढ़ाई जा रही है, उसको लेकर भी इतिहासकारों में नाराजगी है। इस पुस्तक में महाराणा प्रताप को कमजोर बताने की भी कोशिश की गई हैं। इस पुस्तक में महाराणा प्रताप को युद्ध कौशल में कमजोर होने के साथ ही धैर्य, संयम और योजना में लचर बताया है।  

फिलहाल राज्य में ये मुद्दा अब राजनैतिक रूप भी ले चुका है और भाजपा ने राज्य सरकार को इसको लेकर घेरा है। भाजपा का कहना है कि कांग्रेस अपने मुस्लिम वोटबैंक को खुश करने के लिए महाराणा प्रताप के इतिहास से छेड़छाड़ कर रही है। असल में पिछले साल ही राजस्थान सरकार ने सरकारी स्कूलों की किताब में अकबर को महान बताया था। जबकि महाराणा प्रताप को लेकर नकारात्मक तथ्यों को पेश किया था।