सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को यौन उत्पीड़न के मामले में मिली क्लीन चिट से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल काफी नाराज हैं। सूत्रों का कहना है कि अब अटॉर्नी जनरल इस्तीफा तक देने की तैयारी कर रहे हैं।  

उन्होंने इसको लेकर पहले सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों को पत्र लिखा था। जिसके बाद इस मामले में आंतरिक कमिटी का गठन किया गया। लेकिन कमिटी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला से पूछताछ के बाद मुख्य न्यायाधीश को क्लीन चिट दे दी। 

माना जा रहा है कि इस मुद्दे को लेकर कोर्ट और अटॉर्नी जनरल के बीच मतभेद की स्थिति पैदा हो गई है। एजी ने पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों को एक पत्र लिखा जिसमें पूर्व जूनियर असिस्टेंट द्वारा लगाए गए आरोपो की जांच करने के लिए गठित की गई आंतरिक कमेटी में बाहरी सदस्यों को शामिल करने की पुरजोर सिफारिश की गई थी। 

लेकिन उसके बावजूद कमेटी में किसी बाहरी व्यक्ति को शामिल नही किया गया। एजी ने जजो को लिखे अपने पत्र में महिला द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच करने के लिए बनाई गई किसी भी कमेटी में बाहरी सदस्य-- बेहतर हो कि अवकाश प्राप्त महिला जज हो-- को शामिल किये जाने की सिफारिश की थी क्यूंकि उनका मानना था कि ये पारदर्शिता और निष्पक्षता के सिद्धांतों को संतुष्ट करने के लिए जरूरी है। 

एजी ने अपने पत्र में यह भी साफ कर दिया है कि यह उनकी निजी राय है और इसे सरकार का पक्ष ना समझा जाए। 

गौरतलब है कि 88 साल के वेणुगोपाल का कानूनी अनुभव सुप्रीम कोर्ट के हर एक जज से लगभग 20 साल अधिक है। वकालत के पेशे में उन्हें जो सम्मान हासिल है उसको देखते हुए वेणुगोपाल ने अपने प्रशंसकों को तब जरूर निराश किया था जब चुनावी बॉन्ड की गोपनीयता को लेकर सरकार की तरफ से ये  कहा था कि मतदाताओं के लिए राजनीतिक दलों को मिलनेवाले चंदे के स्रोत को जानने की जरूरत नहीं है।