कानपुर: एमआरआई मशीन में 5 साल वर्षीय बच्ची की मौत हो गई । बच्ची का शव मशीन के अंदर लगभग दो घंटे तक पड़ा रहा है । जब इसकी भनक परिजनों को हुई तो हंगामा शुरू हो गया। बच्चों को एमआरआइ मशीन में रखने से पहले बेहोशी का इंजेक्शन लगाया जाता है । परिजनो का आरोप है कि बेहोशी के इंजेक्शन का ओवरडोज देने की वजह से मौत हुई ।

जनपद फतेहपुर के किसनपुर मिलकी गढवा गांव के रहने चांद बाबू की बेटी सोफिया के पैर काम नहीं कर रहे थे । उन्होने पहले बेटी को फतेहपुर के जिला अस्पताल में भर्ती कराया था । सोफिया को डॉक्टरों ने हैलट अस्पताल रेफर किया था । सोफिया का उपचार हैलट के बाल रोग विभाग में चल रहा था ।

डॉक्टरो ने सोफिया के ब्रेन और स्पाइन की एमआरआइ कराने को कहा था । सोफिया की मां रूबीना , ताउ रजब फूफा अनीश उसे लेकर हैलट परिसर में बने वेटलीज कंपनी के एपी डायग्नोसिस सेंटर ले गए । जहां पर उनसे 09 हजार रुपए जमा करा लिए गए । डायग्नोसिस सेंटर के कर्मचारियों ने बच्ची को बेहोशी का इंजेक्शन लगाया और उसे एमआरआइ के लिए ले गए ।

लगभग दो घंटे तक बच्ची को अंदर रखा जब परिजनों ने पूछा कि कितनी देर लगेगी तो कोई भी सही जानकारी नहीं दे रहा था । जब परिजनो ने सख्ती दिखाई तो एमआरआइ मशीन से निकाल कर बच्ची को थमा दिया । बेजान बच्ची की हालत देखकर उसे इमरजेंसी ले जाकर डॉक्टरो को दिखाया तो उसे मृत घोषित कर दिया । इसके बाद हंगामा शुरू हो गया ।

एपी डायग्नोसिस सेंटर का जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से संबद्ध एलएलआर हास्पिटल से अनुबंध था । 26 अपैल 2018 को यह करार समाप्त हो चुका था । इसके बाद भी ये डायग्नोसिस सेंटर चल रहा था ।

बच्ची की रूबीना के कहना है कि डायग्नोसिस सेंटर में प्रशिक्षित डॉक्टर नहीं थे । बेटी को बेहोशी का ओवर डोज इंजेक्शन देने से मौत हुई है । उन्होने बताया कि जब बच्ची को ले गए थे तो वो ठीक थी । सभी से बात कर रही थी ।  बच्ची के परिजनो ने उसका पोस्टमार्टम नहीं कराया । गुरूवार देर रात उसका शव लेकर चले गए ।