केन्द्र की मोदी सरकार जल्द ही सोने के खरीदारों और ज्वैलरी उद्योग को राहत दे सकती है। मोदी सरकार जल्द ही नई गोल्ड पॉलिसी शुरू करने जा रही है। इसके साथ ही सरकार सोने पर लगने वाले आयात शुल्क में कटौती का भी ऐलान कर सकती है। अगर ऐसा होता है तो आयात शुल्क में कटौती से देश में सोने का आयात बढ़ेगा और सोने की कीमतों में कमी आएगी।

असल में मोदी सरकार सरकार स्वर्ण उद्योग और आभूषण निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक एकीकृत स्वर्ण नीति तैयार कर रही है। जल्द ही नीति को लागू किए जाने की उम्मीद है। ऐसा माना जा रहा है कि मोदी सरकार लोकसभा चुनाव से पहले इस नीति को लागू कर सकती है। अगर मोदी सरकार ऐसा करती है तो इससे ज्वैलरी उद्योग के साथ ही सोने के खरीदारों का फायदा मिलेगा। इसके लिए उद्योग मंत्रालय में तेजी से काम चल रहा है और ऐसा माना जा रहा है मंत्रालय सभी पक्षों की बैठक जल्द करेगा और इसके लिए जल्द ही नीति बनाएगा। इसके लिए इस उद्योग से जुड़े सभी पहलुओं पर भी गौर किया जाएगा।

इसके साथ ही मंत्रालय सोने पर आयात शुल्क में कमी करने की दिशा में भी विचार कर रहा है। हालांकि उद्योग काफी अरसे से सोने पर लगने वाले आयात शुल्क में कमी की मांग कर रही है। अगर सरकार इसमें कमी करती है तो इसका सीधा फायदा उद्योग और आम जनता को मिलेगा आज भी देश में ज्यादातर लोग सोने में निवेश करना सबसे सुरक्षित मानते हैं। उद्योग सोने पर आयात शुल्क कम कर 4 प्रतिशत करने की मांग कर रहा है। फिलहाल यह 10 प्रतिशत है। सच्चाई ये है कि भारत सोने का सबसे बड़ा आयातक है और देश में सोने की खपत अन्य देशों की तुलना में सबसे ज्यादा है और इसके बाद भी आज तक कोई सरकार सोने के लिए कोई ठोस और समग्र नीति नहीं बना पायी है।

हालांकि देश में सोने के आभूषण निर्यात किए जाते हैं और इन उत्पादों की विदेशों में काफी मांग है। नीति में घरेलू स्वर्ण उद्योग तथा रत्न एवं आभूषण के निर्यात को बढ़ावा देने पर ध्यान दिए जाने की उम्मीद है। कुल वस्तु निर्यात में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी करीब 15 प्रतिशत है। उधर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कुछ समय पहले सोने को एक संपत्ति वर्ग के रूप में विकसित करने के लिए एक एकीकृत गोल्डम पॉलिसी बनाने की घोषणा की थी। सरकार के थिंक-टैंक नीति आयोग ने अगस्त में सुझाव दिया था कि सरकार को सोने पर आयात शुल्क  मौजूदा 10 प्रतिशत से घटाकर कम करना चाहिए और उसने यह भी सुझाव दिया था कि कीमती धातुओं पर मौजूदा 3 प्रतिशत जीएसटी को भी घटाना चाहिए।