बिहार में कोरोना को लेकर राजनीति चरम है। विपक्षी दल लगातार नीतीश सरकार पर निशाना साध रहे हैं और सीएम नीतीश कुमार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि नीतीश कुमार को राज्य की जनता की चिंता नहीं है और इसलिए उन्होंने राज्य में प्रवासियों को लाने का फैसला नहीं किया। जबकि अन्य राज्य सरकार अन्य प्रदेशों से प्रवासियों को लेकर आयी है।
नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के कहर के बीच बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी दलों को पटखनी देने के लिए अब पीएम नरेन्द्र मोदी के फार्मूले को अपनाएंगे। राज्य में नीतीश कुमार की सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर है और अब राज्य में लॉकडाउन शुरू हो गया है और राज्य सरकार ने राज्य के बाहर से प्रवासियों को लाने की तैयारियां शुरू कर दी हैं।
बिहार में कोरोना को लेकर राजनीति चरम है। विपक्षी दल लगातार नीतीश सरकार पर निशाना साध रहे हैं और सीएम नीतीश कुमार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि नीतीश कुमार को राज्य की जनता की चिंता नहीं है और इसलिए उन्होंने राज्य में प्रवासियों को लाने का फैसला नहीं किया। जबकि अन्य राज्य सरकार अन्य प्रदेशों से प्रवासियों को लेकर आयी है।
वहीं राज्य में अब नीतीश कुमार सभी राजनैतिक दलों से सलाह मशविरा कर कोरोना के प्रसार रोकने के लिए रणनीति बनाएंगे। नीतीश कुमार पीएम मोदी की तर्ज पर कोरोना को हराने के लिए सभी राजनैतिक दलों को एक साथ एक मंच पर लाना चाहते हैं। इससे पहले नीतीश कुमार जेडीयू नेताओं से जिलो के स्थिति की जानकारी ले चुके हैं।
माना जा रहा है कि नीतीश कुमार के साथ बैठक में विधान सभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी,, आरजेडी के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दकी, आरजेडी नेता और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी, माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, कांग्रेस से सदानंद सिंह, लोजपा के नेताओं के साथ ही उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, कृषि मंत्री प्रेम कुमार और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय भी शामिल होंगे। विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी इसके लिए सभी विपक्षी दलों को एकजुट कर रहे हैं। ताकि कोरोना को लेकर राज्य में एक समग्र नीति बनाई जा सके।
Last Updated May 5, 2020, 1:52 PM IST